कोलकाता में नवरात्रोत्सव पंडाल में श्रीदुर्गादेवी को वेश्या के रूप में दर्शाया !

कोलकाता (बंगाल) – यहां के ‘नवापारा दादाभाई संघ पूजा समिति’ के नवरात्रोत्सव पंडाल में श्रीदुर्गादेवी को वेश्याव्यवसाय करनेवाली महिला के रूप में दर्शाया है । यह समाचार ‘ऑपइंडिया’ समाचारजालस्थल ने प्रसारित किया है । इस पंडाल का उद्घाटन तृणमूल कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा, सौगत रॉय एवं मदन मिश्रा ने किया है । इस मंदिर की मूर्तियां प्रथमतः सिलीकॉन से (रासायनिक घटक) बनाई गई हैं । इससे पूर्व कोलकाता में ही श्रीभूमि दुर्गा पूजा पंडाल में ईसाइयों का प्रमुख धार्मिक स्थल वैटिकन सिटी की प्रतिकृति बनाई गई थ

संपादकीय भूमिका

हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न होने से उनकी हो रही अधोगति ! हिन्दुओं ने इसका संवैधानिक रूप से विरोध करना अपेक्षित है !

‘हमारी संकल्पना एवं रचना समाज को परिवर्तित करने के लिए है !’ – संकल्पना एवं रचनाकार संदीप मुखर्जी

श्री दुर्गादेवी को वेश्या के रूप में दिखाने की संकल्पना एवं रचना करनेवाले संदीप मुखर्जी ने बताया, ‘वेश्या एक व्यवसाय है । यह सर्वसामान्य जैसा व्यवसाय नहीं और जो महिलाएं यह व्यवसाय करती हैं, वह भी इस विषय में स्वयं कुछ बताती नहीं । इसलिए कि समाज उनके विषय में एक भिन्न दृष्टिकोण रखता है । हमें यह दृष्टिकोण बदलना है । हमारी संकल्पना एवं रचना समाज को परिवर्तित करने की है । वेश्याव्यवसाय करनेवालों को हम समाज में प्रवेश नहीं देते हैं ।‍ वे तो अपना काम करते हैं, फिर हम प्रवेश क्यों अमान्य करते हैं ? मूर्ति में हमने माता के ऐसे रूप को जोडा है, जो वेश्याव्यवसाय दर्शाता है ।

संपादकीय भूमिका

  • हिन्दू समाज को धर्म के संदर्भ में मार्गदर्शन करना एवं उसके अनुसार कृति करवाकर लेने का अधिकार शंकराचार्य, धर्माचार्य, संत इत्यादि का है । किसी के मन में आया और उसने वैसा किया, यह अयोग्य है !
  • आज समाज में कोई भी उठता है और हिन्दू धर्म शास्त्रों के विरोध में कुछ भी बताकर उसके अनुसार कृति करने का प्रयत्न करता है, ऐसे लोगों का प्रतिवाद करने के लिए अब धर्माचार्यों को आगे आना आवश्यक है !