शिलाँग (मेघालय) – हिमालय के दक्षिण, हिंद महासागर के उत्तर की एवं सिंधु नदी के तटवर्ती क्षेत्र में रहनेवालों को परंपरावश ‘हिन्दू’ कहा जाता है । मुगल एवं इसाई के पूर्व भी हिन्दुओं का अस्तित्व था । वास्तव में हिन्दू यह कोई धर्म नहीं, अपितु जीवनपद्धति है । हिन्दू होने के लिए धर्मपरिवर्तन की आवश्यकता नहीं है, ऐसा कथन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने एक सर्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए किया ।
हिंदू बनने के लिए किसी धर्म बदलने की जरूरत नहीं, भारत में हर कोई हिंदू है: मोहन भागवतhttps://t.co/hK3K5OPfUT#MohanBhagwat #RashtriyaSwayamsevakSangh #Shillong #Meghalaya #Hindu pic.twitter.com/Qrx2zB2SNe
— Punjab Kesari (@punjabkesari) September 26, 2022
वे आगे कहते हैं,
१. भारत का सर्वांगीण विकास एवं समाज का संगठन करना, यह संघ का ध्येय है ।
२. संघ व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग कर, देश के लिए त्याग करना सिखाता है ।
३. ‘हिन्दू’ शब्द में जो भी भारतमाता के पुत्र हैं, उन सभी का समावेश है । जो भारतीय पूर्वजों के वंशज हैं और भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवनयापन करते हैं, वे हिन्दू हैं ।
४. भारत में रहनेवाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है । भारत पश्चिमी संकल्पना का देश नहीं है ।
५. अध्यात्म पर आधारित प्राचीन मूल्यों पर विश्वास ही देश के लोगों को एकत्र बांधनेवाली शक्ति है ।
६. भारत ने विश्व को मानवता का पाठ पढाया है ।