नई देहली – आवारा कुत्तों की समस्या का शीघ्रता से समाधान करना आवश्यक है । प्राणियों के अधिकार एवं नागरिकों की सुरक्षा के मध्य एक संतुलन की भी आवश्यकता है । आवारा कुत्तों का टीकाकरण तथा उनके आक्रमण करने पर, उपचार के खर्च का दायित्व उन्हें खिलानेवाले का है, ऐसा स्पष्ट मत उच्चतम न्यायालय ने व्यक्त किया है । न्यायालय ने मुंबई और केरल में आवारा कुत्तों के सूत्र पर प्रविष्ट विभिन्न याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई करते हुए यह मत व्यक्त किया ।
न्यायालय ने कहा कि हम सभी श्वानप्रेमी हैं । मैं भी कुत्तों को खिलाता हूं; परंतु जिन्हें इन कुत्तों की देखभाल करनी है, उन्हें इसकी अनुमति दी जानी चाहिए । हम इस बात से सहमत नहीं कि इन कुत्तों पर ‘चिप’ (संगणकीय प्रणाली) लगाकर उन पर ध्यान देने की अपेक्षा उनकी पहचान करना आवश्यक है ।
If #straydogs attack people, those who feed them could be held liable, says #SupremeCourthttps://t.co/YYBrzuXRsp
— DNA (@dna) September 10, 2022
वर्ष २०१९ से २०२१ के कालखंड में प्राणियों द्वारा काटे जाने की डेढ करोड घटनाएं हुईं !
वर्ष २०१९ में उपलब्ध संख्या के अनुसार देश में प्राणियों द्वारा काटे जाने की १ करोड ५० लाख घटनाएं प्रविष्ट हैं । एक ही वर्ष २०१९ में प्राणियों द्वारा काटे जाने की पूरे ७२ लाख ७७ सहस्र ५२३ घटनाएं प्रविष्ट थीं । वर्ष २०२० में यह संख्या घट कर ४६ लाख ३३ सहस्र ४९३ हुई और वर्ष २०२१ में यह संख्या न्यून होकर १७ लाख १ सहस्र १३३ हो गई । इस वर्ष के पहले ७ मासों में १४ लाख ५० सहस्र घटनाएं प्रविष्ट हुई हैं ।
देश में पौने २ करोड से अधिक आवारा कुत्ते
वर्ष २०१९ में भारत में १ करोड ५३ लाख ९ सहस्र ३५५ आवारा कुत्तों की सूचना मिली थी । वर्ष २०१२ में यही संख्या १ करोड ७१ लाख ३८ सहस्र ३४९ थी ।
संपादकीय भूमिकाजनता को लगता है कि आवारा कुत्ते के काटने के पूर्व ही अब उस पर कठोर निर्णय लेने का समय आ गया है ! |