मदरसों को प्रतिवर्ष मिलती है १० सहस्र करोड रुपए की निधि !

५० प्रतिशत निधि का स्रोत गुप्त !

‘एन.सी.पी.सी.आर’ के मुख्य प्रियांक कानूनगो (दाईं ओर)

नई देहली – उत्तरप्रदेश सरकार ने निजी मदरसों का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है और असम सरकार ने भी उस दिशा में कदम उठाए हैं । अब ‘राष्ट्रीय बाल हक सुरक्षा आयोग’ ने (एन.सी.पी.सी.आर. ने) एक विवरण प्रकाशित किया है, जिसमें देश के मदरसों की निधि में बहुत अधिक बढोतरी बताई गई है । विवरण में कहा गया है कि मदरसों को प्रतिवर्ष १० सहस्र करोड रुपए की निधि मिल रही है । उसमें से ५० प्रतिशत निधि गुप्त स्रोत द्वारा प्राप्त हो रही है ।

‘मदरसों की आय में बहुत अधिक बढोतरी हुई है; परंतु बच्चों के भोजन का व्यय ५० प्रतिशत अल्प हो गया है । इससे स्पष्ट होता है कि छात्रों की स्थिति दयनीय है । इन मदरसों के पाठ्यक्रम औरंगजेब कालीन हैं । ‘एन.सी.पी.सी.आर.’ के मुख्य प्रियांक कानूनगो ने ‘टाइम्स नाऊ’ को कहा है कि मदरसों के नाम पर पर्याप्त से अधिक निधि मिलती है; परंतु उसका प्रयोग बच्चों के लिए नहीं किया जाता ।

मदरसों का सर्वेक्षण हो ! – एन.सी.पी.सी.आर. की अनुशंसा

एन.सी.पी.सी.आर. के विवरण में कहा गया है कि मदरसों को मिलनेवाली निधि के उपयोग के विषय में पूरी तरह सुस्पष्टता होनी चाहिए । इस विवरण में मदरसों के सर्वेक्षण करने की अनुशंसा बताई गई है ।

एन.सी.पी.सी.आर. के विवरण की आलोचना करते हुए ‘युनाइटेड मुस्लिम फ्रंट’ के अध्यक्ष शाहिद अली ने कहा कि यह विवरण जूठ हो सकता है ।

संपादकीय भूमिका

अनेक प्रमाणों से सामने आया है कि देश के अधिकांश मदरसों में बच्चों को देश के विरुद्ध बातें पढाई जाती हैं । तथा अधिकांश मदरसों में पढानेवाले शिक्षक भी राष्ट्रघाती गतिविधियों में व्यस्त हैं । ऐसा होते हुए भी ‘इतनी भारी मात्रा में उनको मिल रही निधि का आगे क्या उपयोग होता है ?’, इसकी भी छानबीन होनी चाहिए !