लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – शिया सेंट्रल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र त्यागी (पूर्वाश्रम में वसीम रिजवी) ने १७ से १९ दिसंबर २०२१ की अवधि में हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में मुसलमानों के विरुद्ध कथित आपत्तिजनक वक्तव्य देने के कारण न्यायालय में आत्मसमर्पण किया । पुलिस उन्हें बंदी बना कर कारागृह में ले गई । इस प्रकरण में उनके विरुद्ध प्रकरण प्रविष्ट किया गया था । इस के कारण उन्हें बंदी बनाया गया था । इसके उपरांत न्यायालय ने ३ महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी । जमानत की अवधि समाप्त होने के फलस्वरूप त्यागी ने आत्मसमर्पण किया। शरणागति के पूर्व जितेंद्र त्यागी ने भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी से भेंट की एवं श्री निरंजनी अखाड़ा परिषद के कुछ संतों से भी मिले ।
#JitendraTyagi surrenders in court on completion of interim bail in Dharma Sansad hate speech case https://t.co/QbIirootIe
— Zee News English (@ZeeNewsEnglish) September 2, 2022
सनातन धर्म की लड़ाई में मैं अकेला पड गया हूं ! — जितेंद्र त्यागी
जितेंद्र त्यागी ने कहा कि जब से मैंने सनातन धर्म स्वीकार किया है, कुछ लोग मेरे पीछे पड गए हैं । इस लड़ाई में मैं अकेला पड गया हूं । मुझे इसका कोई पश्चाताप नहीं है, क्योंकि मैंने सनातन धर्म को विचारपूर्वक पूरे संज्ञान में स्वीकार किया है । ज्वालापुर के कुछ लोगों ने रोशनाबाद कारागृह में मुझे मारने का षड्यंत्र रचा था किन्तु कारागार प्रशासन की सतर्कता के फलस्वरूप उनका षड्यंत्र सफल नहीं हुआ ।
हिन्दू धर्म स्वीकार कर त्यागी को क्या मिला ? – श्रीमहंत रवींद्रपुरी का खेद !
श्री महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि जितेंद्र त्यागी के कारागृह जाने से संतों को कष्ट हो रहा है । त्यागी को हिंदू धर्म स्वीकार करने के उपरांत क्या प्राप्त हुआ ? यह प्रश्न उठता है । सभी संतों को त्यागी का साथ देना चाहिए था किन्तु सभी ने उनका साथ नहीं दिया एवं कुछ संतों ने उन्हें मझधार में ही छोड़ दिया ।
शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, मैं जितेंद्र त्यागी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूं । हम इस जंग में त्यागी के साथ बने रहेंगे ।