राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता जितेंद्र आवाड के पेट में मरोड
सांस्कृतिक कार्यमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के हैलो’ के स्थान पर ‘वन्दे मातरम्’ कहने का आदेश देने का प्रकरण
मुंबई -भारतीय संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता का गला न घोंटें । कौन क्या खाए ? क्या पहने? क्या बोले ? क्या यह आप निश्चित करेंगे ? ‘यदि हमने इस प्रकार (वन्दे मातरम्) नहीं कहा, तो हमें कारागृह में बंदी बनाएंगे ?’ राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता जितेंद्र आवाड द्वारा ऐसा प्रश्न उपस्थित किया गया । राज्य के वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने मंत्रीपद का पदभार स्वीकारते ही राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों के अधिकारी तथा कर्मचारियों को भ्रमणभाष से संवाद करते समय ‘हैलो’ के स्थान पर ‘वन्दे मातरम्’ कहने का आदेश दिया था । इसे लक्षित (उद्देश्य) कर आवाड ने उपरोक्त प्रतिक्रिया दी ।
‘मैं ‘वन्दे मातरम्’ नहीं, अपितु ‘जय महाराष्ट्र’ कहूंगा !’
विरोध के लिए विरोध करनेवाले ऐसे नेता क्या राष्ट्र हित करेंगे ?
‘मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भ्रमणभाष करने पर वे ‘जय महाराष्ट्र’ कहते हैं । इसलिए मैं ‘वन्दे मातरम्’ न कहकर ‘जय महाराष्ट्र’ कहूंगा । कानून से ऐसे बंधन डालना उचित नहीं है । लोगों की रुचि-अरुचि के अनुसार वे बोलते हैं, राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता छगन भुजबल ने ऐसा वक्तव्य दिया ।
अंगे्रजों की स्मृतियां मिटा देनी चाहिए !- मंत्री मुनगंटीवार‘हैलो’ शब्द १८ वें शतक में आया था । उसका अर्थ ‘आश्चर्य व्यक्त करना’ होता है । अंगे्रजों की स्मृतियां मिटा देनी चाहिए । हमारी मराठी की पुस्तक में भली-भांति ‘वन्दे मातरम्’ का वर्णन किया गया है । ‘राष्ट्रभक्त के होठोें से निकला ‘वन्दे मातरम्’ प्राणप्रिय है’, मंत्री मुनगंटीवार ने ऐसा कहा । |
उचित अर्थ निकालने की क्षमता हम विकसित नहीं कर सके, यह शिक्षा पद्धति का दोष !- सुधीर मुनगंटीवार
अनेक लोगों की ओर से ‘वन्देमातरम्’ का विरोध होने लगा, तो सांस्कृतिक कार्यमंत्री मुनगंटीवार ने कहा,‘जो विरोध करेंगे, हम उनसे संवाद करेंगे । उन्हें समझाने का प्रयास करेंगे । यह कोई जातीय अथवा धर्मांध शब्द नहीं है । मैंने महाराष्ट्र के सांस्कृतिक कार्यमंत्री के रूप में यह निर्णय लिया है । महाराष्ट्र में यह अभियान चलाना है । इसलिए ‘किसी को भी कारागृह में डालेंगे’, हमने ऐसा नहीं कहा है । यह अपनी शिक्षापद्धति का दोष है कि उचित अर्थ निकालने की क्षमता हम विकसित नहीं कर सके । ‘हैलो’ शब्द को पर्यायी शब्द के रूप में ‘वन्दे मातरम्’ प्रयुक्त करें, मैंने इतना ही कहा है ।
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति को ७५ वर्ष होने की पार्श्वभूमि पर हमारे मंत्रियों द्वारा दी गई घोषणा उचित है ! – रावसाहेब दानवे, रेल राज्यमंत्री
‘वन्दे मातरम्’ कहना चूक नहीं है । जिस व्यक्ति को देश के प्रति स्वाभिमान है, उसे ‘वन्दे मातरम्’ कहना चाहिए । सरकार ने ऐसा कोई भी नियम नहीं बनाया है । जिस किसी को भी ‘वन्दे मातरम्’ कहना पसंद है, वे उसे कहें । जिन्हें विरोध करना है, वे विरोध करें । भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति को ७५ वर्ष पूर्ण होने की पार्श्वभूमि पर हमारे मंत्रियों द्वारा की गई यह घोषणा उचित है ।
‘वन्दे मातरम्’ की अपेक्षा कांग्रेस कार्यकर्ता ‘जय बलीराजा’ कहें ! – नाना पटोले, प्रदेशाध्यक्ष, कांग्रेस
‘वन्दे मातरम्’ हमारा स्वाभिमान है, जबकि ‘बलीराजा’ विश्व के पालनकर्ता हैं । बलीराजा का सम्मान करने हेतु कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को ‘जय बलीराजा’ कहना चाहिए ।
संपादकीय भूमिका
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