प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का लाल किले से जनता को पांच संकल्प पूर्ण करने का आवाहन !

उत्साह से मनाया गया भारत का ७६ वां स्वतंत्रता दिवस !

नई देहली – प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी ने भारत के ७६ वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया । उन्होंने कहा कि हमें अपनी समर्थता पर लक्ष केंद्रित करना चाहिए । अब देश ‘पंचप्राण’ एवं बडा संकल्प लेकर आगे बढेगा । भारत की प्रतिमा ‘विकसित राष्ट्र’ के रूप में निर्मित करनी है । यह पहला प्रण है, दूसरा प्रण गुलामी का अंश बाहर निकालना, गुलामी से मुक्त होना है । तीसरा प्रण हमें अपनी धरोहर के प्रति गर्व लगना चाहिए । कालबाह्य बातों को छोडकर नई बातें स्वीकार करने की हमारी परंपरा रही है । चौथा प्रण अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, वह है एकता एवं एकसंघता ! १३० करोड जनता में एकता चाहिए । ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की स्वप्नपूर्ति के लिए एक संघ बनना होगा, यह है चौथा प्रण ! पांचवा प्रण नागरिकों का कर्तव्य है, इसमें प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री भी सिमिल्लित हैं । आगामी २५ वर्षों की संकल्पपूर्ति के लिए यह अधिक महत्त्वपूर्ण ‘प्रणशक्ति’ है । इस वक्तव्य में ‘पीएम समग्र स्वास्थ्य मिशन’ के नए नाम से ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान’ के विस्तार का भी उन्होंने उल्लेख किया तथा म. गांधी, नहेरू एवं सावरकरजी का भी स्मरण किया । उससे पूर्व उन्होंने लाल किले में राष्ट्रध्वज फहराया । इस समय २१ तोपों की सलामी भी दी गई ।

प्रधानमंत्री मोदीजी के भाषण में प्रस्तुत कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र

भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडाई लडने के लिए जनता को सहायता करनी होगी !

भ्रष्टाचार के प्रति जब तक आक्रोश उत्पन्न नहीं होगा, तब तक देश का भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा । भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडाई लडने के लिए जनता को सहायता करनी होगी तथा राजनीति एवं पृथक-पृथक संस्थाओं में विद्यमान परिवारवाद भी समाप्त होना चाहिए । भारत में कुछ लोग निर्धनता (गरीबी) से लड रहे हैं । कुछ लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है, तो दूसरी ओर कुछ लोगों के पास चोरी का धन छुपाने के लिए स्थान नहीं है । इसी कारण हमें भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडना है । आधार कार्ड, भ्रमणभाष संच जैसे आधुनिक साधनों का प्रयोग कर हम अनुचित लोगों के हाथ जानेवाले २ लाख करोड रुपए बचाने में सफल हुए । गत सरकार के कार्यकाल की अवधि में जो लोग बैंकों को लूटकर पलायन कर गए, उनकी संपत्ति नियंत्रण (जप्त) में लेकर उन्हें वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है । कुछ लोगों को कारागृह में डाल दिया गया है । हम ऐसी स्थिति निर्माण कर रहे कि जिन लोगों ने देश को लूटा, उन्हें वह लूट वापस देने के लिए बाध्य किया जाए ।

महिलाओं को अपमानित करने की बातों से मुक्त हों !

यदि बेटे और बेटियां समान हों, तभी घर में एकता की नींव रखी जा सकती है । स्त्री-पुरुष समानता ही एकता की प्राथमिक सीढी (शर्त) है । भारत एकता का मंत्र है । तथापि किसी न किसी कारणवश हममें विकृति का निर्माण हुआ है । हम महिलाओं का अपमान कर रहे हैं । आज हम संकल्प करें कि दैनंदिन जीवन में स्त्रियों को अपमानित करने की प्रत्येक घटना से प्राकृतिक संस्कारों द्वारा मुक्त होंगे ।

स्वतंत्रता प्रेमियों की सर्व स्वप्नपूर्ति का दायित्व लें !

मुझे लग रहा है कि आगामी २५ वर्षों के लिए हमें अपने संकल्पों पर लक्ष केंद्रित करना होगा । वर्ष २०४७ में स्वतंत्रता के १०० वर्ष पूर्ण होंगे, अत: स्वतंत्रता प्रेमियों की सर्व स्वप्नपूर्ति का दायित्व हमें लेना होगा ।

..तब भी भारत आगे बढता रहा !

‘१४ अगस्त को भारत ने भी हृदय के घावों को ध्यान में रखकर ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया । भारत से देशवासियों को अत्यधिक प्रेम है । इसलिए प्रत्येक ने सुख-दुःख सहन किया । हमारी ७५ वर्षों की यात्रा उतार-चढाव से भरी है । सुख-दु:ख की छाया सर्व ओर घूम रही है । ऐसी परिस्थिति में भी अपने देशवासियों ने प्रयास किए और साध्य भी किया । सैकडों वर्षों की दासता (गुलामी) के कारण गहन चोट पहुंची है । जब स्वतंत्रता दी जा रही थी, तभी देशवासियों को भयभीत किया जा रहा था । देश के टुकडे होने का भय दिखाया गया; परंतु यह हिन्दुस्थान है । हमने अनाज संकटों का सामना किया, युद्ध की बलि चढे, आतंकवादियों के आक्रमण, प्राकृतिक आपत्तियों का सामना करना पडा, परंतु तो भी भारत आगे बढता रहा ।