हम सभी में भेदभाव उत्पन्न करने के लिए जात-पात की खाई निर्माण किया गया ! – सरसंघालक

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

नागपुर – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने प्रतिपादन किया है कि अनेक ऐतिहासिक घटनाएं हमें कभी बताई नहीं गईं, अथवा ठीक से पढाई नहीं गई हैं । जिस स्थान में संस्कृत व्याकरण का उद्भव हुआ, वह स्थान भारत में नहीं है; परंतु क्या हमने कभी प्रश्न पूछा है ? हम अपना ज्ञान पूर्व में ही भूल चुके हैं एवं तदुपरांत विदेशी आक्रमणकर्ताओं ने हमारी भूमि नियंत्रण में ले ली । बिना किसी कारण के हममें भेदभाव उत्पन्न करने के लिए जात-पात की खाई निर्माण किया गया । १४ अगस्त को यहां संपन्न ‘उत्तर भारत’ कार्यक्रम में वे ऐसा बोल रहे थे ।

डॉ. मोहन भागवत ने आगे कहा कि

१. भारत के अस्तित्व में एकता है । संपूर्ण विश्व विविधता का व्यवस्थापन करने के लिए भारत की ओर दृष्टि लगाकर बैठा है ।

२. यदि भारत को श्रेष्ठ बनाना है, तो हमे निडर बनना होगा । यदि हम भयमुक्त होंगे, तभी भारत एकसंघ होगा । निश्चित ही हम अहिंसा के उपासक हैं; परंतु दुर्बल नहीं । हममें भाषा, वेशभूषा एवं संस्कृति में अवश्य कुछ भेद हैं; परंतु इन बातों में हम न उलझें ।

(सौजन्य : RITAM BANGLA)

३. हमारी ऐसी आत्मीयता होनी चाहिए कि देश की सर्व भाषाएं राष्ट्रभाषा हैं एवं सर्व जाति-धर्म के लोग मेरे अपने हैं ।