नागपुर – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने प्रतिपादन किया है कि अनेक ऐतिहासिक घटनाएं हमें कभी बताई नहीं गईं, अथवा ठीक से पढाई नहीं गई हैं । जिस स्थान में संस्कृत व्याकरण का उद्भव हुआ, वह स्थान भारत में नहीं है; परंतु क्या हमने कभी प्रश्न पूछा है ? हम अपना ज्ञान पूर्व में ही भूल चुके हैं एवं तदुपरांत विदेशी आक्रमणकर्ताओं ने हमारी भूमि नियंत्रण में ले ली । बिना किसी कारण के हममें भेदभाव उत्पन्न करने के लिए जात-पात की खाई निर्माण किया गया । १४ अगस्त को यहां संपन्न ‘उत्तर भारत’ कार्यक्रम में वे ऐसा बोल रहे थे ।
Nagpur | RSS Chief Mohan Bhagwat attends the 'Uttishtha Bharat' event
We might look different. We might eat different things. But there's unity in the existence… Moving forward as one is something that the world can learn from India: Mohan Bhagwat, RSS Chief pic.twitter.com/enqQqIdbOt
— ANI (@ANI) August 14, 2022
Maharashtra | Take a pledge to work for society and the country. We will go the gallows for the country. We will work for the country. We will sing songs for India. Life should be dedicated to India: Mohan Bhagwat, RSS Chief, at the 'Uttishtha Bharat' event in Nagpur pic.twitter.com/XveVAmBGEE
— ANI (@ANI) August 14, 2022
डॉ. मोहन भागवत ने आगे कहा कि
१. भारत के अस्तित्व में एकता है । संपूर्ण विश्व विविधता का व्यवस्थापन करने के लिए भारत की ओर दृष्टि लगाकर बैठा है ।
२. यदि भारत को श्रेष्ठ बनाना है, तो हमे निडर बनना होगा । यदि हम भयमुक्त होंगे, तभी भारत एकसंघ होगा । निश्चित ही हम अहिंसा के उपासक हैं; परंतु दुर्बल नहीं । हममें भाषा, वेशभूषा एवं संस्कृति में अवश्य कुछ भेद हैं; परंतु इन बातों में हम न उलझें ।
(सौजन्य : RITAM BANGLA)
३. हमारी ऐसी आत्मीयता होनी चाहिए कि देश की सर्व भाषाएं राष्ट्रभाषा हैं एवं सर्व जाति-धर्म के लोग मेरे अपने हैं ।