घायल चीनी सेना के उपचार करनेवाले भारतीय डॉक्टर की चीन ने की थी हत्या !

  • वर्ष २०२० में भारत के गलवान क्षेत्र में चीन की सेना के साथ हुए संघर्ष के संदर्भ में

  • कुछ दिन पश्चात प्रकाशित होनेवाली पुस्तक द्वारा धक्कादायक स्पष्टीकरण !

डॉ. दीपक सिंह (बाईं ओर) उनकी पत्नी रेखा सिंह उनका ‘वीर चक्र’ पुरस्कार स्वीकार करते हुवे (दाईं ओर)

नई देहली – ‘इंडियाज मोस्ट फियरलेस ३ : न्यू मिलिट्री स्टोरीज ऑफ अनइमैजिनेबल करेज एंड सैक्रिफाईस’ (भारत के सबसे निडर ३ अकल्पनीय धीरता एवं बलिदान के संदर्भ में सेना की नई कथाएं ) इस पुस्तक द्वारा यह धक्कादायक स्पष्टीकरण सामने आया है कि वर्ष २०२० में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत तथा चीन की सेना में संघर्ष हुआ था । उसमें भारतीय सेना ने वीरता दिखाकर चीन की अधिकांश सेना की हत्या की थी । उस समय घायल भारतीय सेना का उपचार करनेवाले भारतीय सेना के डॉ. दीपक सिंह ने अनेक चीनी सैनिकों के भी उपचार कर उनके प्राण बचाए थे; किंतु चिनी सेना ने उनका ही अपहरण कर उनकी हत्या कर दी । शिव अरूर एवं राहुल सिंह नामक पत्रकारों द्वारा लिखी यह पुस्तक आगामी ७५ वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रकाशित की जाएगी ।

पुस्तक के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश !

१. १५ जून २०२० की रात्रि दोनों सेनाओं के मध्य हुए संघर्ष में भारत के एक कर्नल के साथ ३० सैनिकों ने सर्वाेच्च बलिदान दिए थे । चीन ने कहा था कि उनके केवल ४ सैनिक मारे गए हैं; किंतु पुस्तक में प्रस्तुत अनेक प्रमाणों के आधार पर चीन का मिथ्या कथन स्पष्ट हुआ है ।

२. गलवान घाटी में चीन अपनी घायल सेना को ऐसे ही छोडकर चला गया था । लगभग ३० से अधिक घायल भारतीय सैनिकों के उपचार कर उनके प्राण बचाने के पश्चात डॉ. दीपक सिंह ने घायल चीनी सैनिकों के भी उपचार किए थे ।

३. तत्पश्चात चीनी सेना ने डॉ. सिंह का अपहरण कर अपनी शेष घायल सेना के उपचार करवाए तथा उनकी हत्या कर दी ।

४. २६ जनवरी २०२१ को डॉ. सिंह को मृत्योत्तर दूसरा सर्वाेच्च शौर्य पुरस्कार ‘वीर चक्र’ प्रदान किया गया ।

५. अब उनकी पत्नी रेखा सिंह भारतीय सेना में सम्मिलि की गई हैं । अगले वर्ष ‘फ्टिनेंटलेफ्टिनेंट’ के पद पर उनकी प्रोन्नति होनेवाली है । वर्तमान में उनका सैन्य प्रशिक्षण चल रहा है ।

संपादकीय भूमिका

क्रूर मनोवृत्ति एवं उपकार करनेवाले के साथ विश्वासघात करनेवाला कृतघ्न चीन ! ऐसे चीन को पूरी तरह से झुकाने हेतु अब भारत को प्रयास करने की आवश्यकता !