भाग्यनगर – प्रधान न्यायमूर्ति एन.वी. रमन ने प्रतिपादन किया है कि गति से हो रहे वैश्वीकरण के कारण अनेक स्थानों की स्थानीय संस्कृतियों पर संकट का निर्माण हुआ है । वे यहां के उस्मानिया विश्वविद्यालय के ८२ वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे । इस समय प्रधान न्यायमूर्ति रमन को विश्वविद्यालय की ओर से ‘डाक्टरेट’ की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
Global culture is emerging as a threat to local cultural symbols and identities: CJI NV Ramana
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— Bar & Bench (@barandbench) August 6, 2022
प्रधान न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि
१. वर्तमान में गति से वैश्वीकरण हो रहा है, तथा विज्ञान एवं तंत्रज्ञान क्षेत्रों में भी बडी मात्रा में प्रगति हो रही है । इसलिए पूरे विश्व की विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग एक दूसरे से जुड रहे है ।
२. इस प्रकार विश्व निकट आ रहा है । तब स्थानीय संस्कृति, चिन्ह एवं परिचय का संकट निर्माण हुआ है । प्रसारमाध्यम एवं सामाजिक माध्यमों के कारण एक विशिष्ट जीवनशैली की श्रेष्ठता बढ रही है और समाज भी उसका अंधानुकरण कर रहा है ।
३. कृपया कोई ऐसा न कहे कि जो निरीक्षण मैंने किया है, वह ‘वैश्वीकरण की आलोचना है ।’ वैश्वीकरण के कारण उत्पन्न हुई समस्या देखते हैं तो वैश्वीकरण के जिन सिद्धांतों को हमने अपनाया है, उसमें कुछ चूक हो गई है ऐसा हम सुनिश्चित रूप से कह सकते हैं ।
४. ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ के (‘युनेस्को’ के) वर्ष २०२१ की भाषाओं के विवरण अनुसार विश्व की लगभग ७ सहस्र भाषाओं में से आधी भाषाएं इस शतक के अंत तक समाप्त हो सकती हैं । यदि ये भाषाएं समाप्त हो गईं, तो हम उन भाषाओं में लिखे गए अमूल्य साहित्य को केवल गंवाएंगे ही नहीं, अपितु पीढियों से विरासत में प्राप्त ज्ञान भी गंवा बैठेंगे ।