तैवान को लेकर अमेरिका-चीन के मध्य संघर्ष फैलने की संभावना !
तैपेई (तैवान) -अमेरिका के प्रतिनिधिगृह की अध्यक्षा नैन्सी पेलोसी ने चीन को अंधेरे में रखते हुए २ अगस्त की रात्रि में तैवान की यात्रा की । ३ अगस्त को सुबह उन्होंने तैवान की संसद से भेंट की । वहां उन्होंने तैवान की राष्ट्राध्यक्षा त्साई इंग-वेन से भेंट की । इस अवसर पर पेलोसी को ‘ऑर्डर ऑफ प्रोपियस क्लाउड्स विथ स्पेशल ग्रैंड कॉर्डन’, अर्थात तैवान के सर्वोच्च नागरिक का सम्मान प्रदान किया गया । पेलोसी तैवान में उनके निर्धारित कार्यक्रम समाप्त कर ३ अगस्त को सायंकाल में दक्षिण कोरिया के लिए मार्गस्थ हुईं ।
Nancy Pelosi meets Taiwan's President, Tsai Ing-wen and reiterated Washington's support to the island country and said that the US' determination to preserve Taiwan's sovereignty is "iron-clad".#NancyPelosi #Taiwan #China #UShttps://t.co/agrGYrYZMA
— Business Standard (@bsindia) August 3, 2022
तैवान संसद को संबोधित करते हुए पेलोसी ने कहा, ‘अमेरिका का तैवान को सदैव समर्थन रहेगा । हमें तैवान के साथ हमारी मैत्री पर अभिमान है । हमारे कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल की तैवान से भेंट इस देश के लोकतंत्र को समर्थन देने की अमेरिका की वचनबद्धता का सम्मान है । तैवान के ढाई करोड नागरिकों के साथ अमेरिका की एकता आज पूर्व की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है; इसलिए विश्व को निरंकुशता तथा लोकतंत्र में चयन करने का सामना करना पड रहा है ।’
दूसरी ओर चीन ने इस यात्रा का निषेध किया है तथा ‘अमेरिका आग से खेलना बंद करे’, ऐसी चेतावनी दी है ।
असंतुष्ट (नाराज) चीन क्या कर सकता है?
चीन अब तैवान पर अधिक दबाव डालने का प्रयास करेगा । इसलिए कहा जा रहा है कि लडाकू विमान तैवान की हवाई सीमा में पूर्व की अपेक्षा अधिक घुसपैठ करेंगे । चीन सरकार कूटनीतिक रूप से अमेरिका का विरोध कर सकती है । वह अमेरिका से उनके राजदूत किन गैंग को वापस बुला सकती है ।
तैवान को लेकर तनाव क्याें ?
चीन तैवान को ‘वन-चाइना’ नीति के अंतर्गत स्वयं का भाग मानता है, जब कि तैवान स्वयं को स्वतंत्र देश मानता है । ‘तैवान को चीन की राजनीतिक मांगों के सामने झुकने पर बाध्य करना तथा चीन का नियंत्रण मान्य करने को बाध्य करना’, चीन के ये ध्येय हैं । अमेरिका भी ‘एक चीन नीति’ स्वीकार करती है; परंतु तैवान पर चीन का नियंत्रण उसे स्वीकार नहीं है ।
चीन द्वारा तैवान पर आर्थिक बंधन!पेलोसी की भेंट से असंतुष्ट हुए चीन ने तैवान की नाकेबंदी करने हेतु उस पर आर्थिक बंधन लगा दिए हैं । चीन सरकार ने तैवान को नैसर्गिक रेत (बालू)निर्यात करने पर प्रतिबंध लगा दिए हैं । कोरोना महामारी के पश्चात नैसर्गिक रेत (बालू) तैवान के लिए आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत हो गई थी । इसके साथ १ जुलाई को चीन ने तैवान से १०० से अधिक अन्न की आपूर्ति करनेवालों के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है । |
… तो अमेरिका एवं तैवान चीन पर आक्रमण करेंगे !अमेरिका एवं तैवान की सेना चीन से सामना करने के लिए सिद्ध हैं, अंतर्राष्ट्रीय वृत्तसंस्थाओं की ओर से ऐसा कहा जा रहा है । अमेरिका के नौदल की ४ युद्धनौकाएं तैवान के समुद्री सीमा पर पहरा दे रही हैं । उनके पास अत्यंत आधुनिक लडाकू विमान एवं क्षेपणास्त्र हैं । यदि चीन द्वारा निश्चित रूप से हस्तक्षेप हुआ, तो अमेरिका एवं तैवान, ये दोनों ओर से चीन पर आक्रमण कर सकते हैं । दूसरी ओर ऐसा कहा जा रहा है कि चीन ने कार्यवाही हेतु लंबी दूरी के ‘रॉकेट्स’ तथा टैंक तैयार रखे हैं । तैवान जलडमरूमध्य में चीन के अन्य लष्करी शस्त्र (आयुध) भी हैं । वह उनका उपयोग कर सकता है । अमेरिका की सेना इन कृत्यों पर सूक्ष्मता से ध्यान रख रही है । |
संपादकीय भूमिकाइस अवसर का लाभ लेकर भारत को चाहिए कि चीन को कूटनीतिक तथा भूराजनीतिक स्तर पर नष्ट करने हेतु प्रयास करे, प्रत्येक राष्ट्रप्रेमी नागरिक को ऐसा ही प्रतीत होता है ! |