लक्ष्मणपुर (उत्तरप्रदेश) – भारतीय लोकतंत्र की त्रासदी यह है कि, विधायक मुख्तार अन्सारी जैसे अपराधी यहां कानून बनाने वाले हैं । यह भारतीय लोकतंत्र पर दाग है, ऐसी टिप्पणी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने अन्सारी की जमानत अर्जी नकारते हुए की । अन्सारी उत्तरप्रदेश के ‘सुहेलदेव भारतीय समाज पक्ष’ के विधायक हैं ।
Biggest Scar On Indian Democracy That Criminals Like Mukhtar Ansari Are Lawmakers: Allahabad HC Denies Him Bail @ISparshUpadhyay https://t.co/ZsQYnMOcCw
— Live Law (@LiveLawIndia) July 23, 2022
१. मुख्तार अन्सारी के विरोध में प्रविष्ट ५६ गुनाहों का संदर्भ देते हुए न्यायालय ने आदेश में कहा है कि, लोगों के मन में आरोपी के विषय में डर है । (५६ गुनाह करने वाले व्यक्ति को जनता मत देती है और वह चुनकर आता है, यह केवल भारत में ही हो सकता है ! ऐसा प्रश्न उठता है कि, क्या इसे ‘महान लोकतंत्र’ कहें ? । यह भारतीयों के लिए लज्जास्पद है ! – संपादक) इस कारण अन्सारी अथवा उसके समर्थकों को चुनौती देने का साहस कोई नहीं करता है । इस कारण आरोपी जमानत पर बाहर आकर साक्ष्य नष्ट कर साक्षीदारों पर दबाव लाएगा, अभियोजन पक्ष द्वारा इस तरह के डर को नकारा नहीं जा सकता है । (जो न्यायालय के ध्यान में आता है, यह पुलिस और शासनकर्ताओं के ध्यान में क्यों नहीं आता ? – संपादक)
२. दिसंबर २०१३ के दिन राज्य के बाराबंकी के परिवहन विभाग में डॉ. अलका राय के नाम के नकली कागजपत्र के आधार पर एम्बुलेंस का रजिस्ट्रेशन किया गया था । जब यह प्रकरण उजागर हुआ, तब डॉ. अलका राय ने, स्वीकार किया कि, ‘मुख्तार अंसारी के लोग मेरे पास कुछ कागजपत्र लाए थे । डर और दबाव में आकर मैंने उस पर हस्ताक्षर किए’ ।
३. इस एम्बुलेंस का प्रयोग अवैध असलहों सहित मुख्तार अंसारी के लोगों को लाने, ले जाने के लिए किए जाने का आरोप है । ( पुलिस ऐसे समय सो रही होती है या रिश्वत लेकर अनदेखी कर देती है ? – संपादक)
संपादकीय भूमिकादेश में ऐसे सैकडों ‘दाग’ हैं, पहले भी थे और आगे भी रहेंगे, इसमें जनता को संदेह नहीं ! यदि इस स्थिति को बदलना है, तो बडा संघर्ष करना पडेगा; लेकिन इसके लिए जनता की तैयारी नहीं, यही वस्तूस्थिति है ! |