विधायक मुख्तार अन्सारी जैसे अपराथी कानून के निर्माता होना, यह भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ

विधायक मुख्तार अन्सारी

लक्ष्मणपुर (उत्तरप्रदेश) – भारतीय लोकतंत्र की त्रासदी यह है कि, विधायक मुख्तार अन्सारी जैसे अपराधी यहां कानून बनाने वाले हैं । यह भारतीय लोकतंत्र पर दाग है, ऐसी टिप्पणी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने अन्सारी की जमानत अर्जी नकारते हुए की । अन्सारी उत्तरप्रदेश के ‘सुहेलदेव भारतीय समाज पक्ष’ के विधायक हैं ।

१. मुख्तार अन्सारी के विरोध में प्रविष्ट ५६ गुनाहों का संदर्भ देते हुए न्यायालय ने आदेश में कहा है कि, लोगों के मन में आरोपी के विषय में डर है । (५६ गुनाह करने वाले व्यक्ति को जनता मत देती है और वह चुनकर आता है, यह केवल भारत में ही हो सकता है ! ऐसा प्रश्न उठता है कि, क्या इसे ‘महान लोकतंत्र’ कहें ? । यह भारतीयों के लिए लज्जास्पद है ! – संपादक) इस कारण अन्सारी अथवा उसके समर्थकों को चुनौती देने का साहस कोई नहीं करता है । इस कारण आरोपी जमानत पर बाहर आकर साक्ष्य नष्ट कर साक्षीदारों पर दबाव लाएगा, अभियोजन पक्ष द्वारा इस तरह के डर को नकारा नहीं जा सकता है । (जो न्यायालय के ध्यान में आता है, यह पुलिस और शासनकर्ताओं के ध्यान में क्यों नहीं आता ? – संपादक)

२. दिसंबर २०१३ के दिन राज्य के बाराबंकी के परिवहन विभाग में डॉ. अलका राय के नाम के नकली कागजपत्र के आधार पर एम्बुलेंस का रजिस्ट्रेशन किया गया था । जब यह प्रकरण उजागर हुआ, तब डॉ. अलका राय ने, स्वीकार किया कि, ‘मुख्तार अंसारी के लोग मेरे पास कुछ कागजपत्र लाए थे । डर और दबाव में आकर मैंने उस पर हस्ताक्षर किए’ ।

३. इस एम्बुलेंस का प्रयोग अवैध असलहों सहित मुख्तार अंसारी के लोगों को लाने, ले जाने के लिए किए जाने का आरोप है । ( पुलिस ऐसे समय सो रही होती है या रिश्वत लेकर अनदेखी कर देती है ? – संपादक)

संपादकीय भूमिका

देश में ऐसे सैकडों ‘दाग’ हैं, पहले भी थे और आगे भी रहेंगे, इसमें जनता को संदेह नहीं ! यदि इस स्थिति को बदलना है, तो बडा संघर्ष करना पडेगा; लेकिन इसके लिए जनता की तैयारी नहीं, यही वस्तूस्थिति है !