सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘बुद्धिप्रमाणवादी यज्ञ की आहुति से संबंधित वस्तुओं के विषय में कहते हैं, ‘वस्तु यज्ञ में क्यों जलाते हो ?’, ऐसा कहना इंजेक्शन देकर किसी को वेदना क्यों देते हो ?’, ऐसा कहने के समान है । जिस प्रकार इंजेक्शन से लाभ होता है, उसी प्रकार यज्ञ में आहुति देने से होता है, यह भी उन्हें अध्ययन के अभाव में समझ में नहीं आता ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक