हिन्दू बहुल भारत में हिन्दुओं के साथ होता है ‘द्वितीय श्रेणी के नागरिक’ समान व्यवहार ! – एम्. नागेश्वर राव, पूर्व प्रभारी महानिदेशक, सीबीआई

राष्ट्रीय कार्य एवं संवैधानिक सुधार

एम्. नागेश्वर राव

‘भारत में हिन्दू धर्म का पालन, अध्ययन और प्रचार की स्वतंत्रता का अभाव’ विषय पर बोलते हुए केंद्रीय अन्वेषण विभाग के (सीबीआई) के पूर्व महानिदेशक श्री. एम्. नागेश्वर राव ने कहा, ‘‘संविधान के अनुसार मिलनेवाले ५ अधिकारों में से हिन्दुओं को केवल राजनीतिक अधिकार ही मिले हैं; परंतु धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्वतंत्रता इन क्षेत्रों में हिन्दुओं को समानरूप से संवैधानिक अधिकारों का लाभ नहीं मिलता । देश में हिन्दुओं को दुय्यम श्रेणी नागरिक बनाया गया है । इसलिए हिन्दुओं को समान अधिकार मिलने के लिए प्रयास होने चाहिएं । ९० के दशक में कश्मीर में हिन्दुओं का नरसंहार किया गया । लाखों हिन्दुओं को वहां से पलायन करने पर बाध्य किया गया; परंतु उन्हें बचाने के लिए किसी ने भी प्रयास नहीं किए । जब हिन्दू अल्पसंख्यक बन जाते हैं, तब देश के संविधान के प्रावधान उन पर लागू नहीं होते और सरकार भी हिन्दुओं को संरक्षण नहीं देती । मिजोरम में हिन्दुओं के मंदिर नहीं हैं । वहां १०० प्रतिशत जनता ईसाई है । राज्य, जिलों और गांवो से हिन्दू पलायन कर रहे हैं; परंतु ‘ये हिन्दू जाएंगे तो कहां ?’, इस पर विचार किया जाना चाहिए ।’’

उन्होंने आगे कहा,

१. त्रिपुरेश्वर मंदिर में पशुबलि चढाने पर न्यायालय प्रतिबंध लगाता है; परंतु भारत में प्रतिदिन लाखों पशु काटे जाते हैं, उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता । ‘हम ‘पिंक रिवोल्यूशन’ (गोमांस की बिक्री को प्रोत्साहन देनेवाली नीति) को बंद कर ‘व्हाईट रिवोल्यूशन’ (दूध के उत्पादन में वृद्धि) को बढावा देंगे’, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था; परंतु आज की वास्तविकता को देखा जाए, तो आज विश्व में मांस और गोमांस की बिक्री करने में भारत दूसरे क्रम का देश बन गया है । भारत में प्रतिदिन १ लाख पशुओं की हत्या की जाती है, तो विदेशों में मांस का निर्यात करने के लिए अनुदान दिया जाता है ।

२. आज ईसाई और मुसलमान होने का अर्थ हिन्दुओं का धर्मांतरण करने की अनुमति मिलने जैसा हैै ।

३. मंदिरों का सरकारीकरण होने के कारण हिन्दुओं को मंदिर के सामने अपने चप्पल रखने से लेकर दर्शन करनेतक सर्वत्र ही पैसे देने पडते हैं । हिन्दुओं को अपने ही भगवान से मिलने के लिए पैसे क्यों देने पडते हैं ? यह तो एक प्रकार से औरंगजेब ने जो जिजिया कर लगाया था, उससे अधिक भयानक जिजिया कर है’, ऐसा कहना अनुचित नहीं होगा ।

४. अनुच्छेद १२, २५ और २६ को हटाकर केंद्र सरकार के माध्यम से ‘सेंट्रल टेंपल एक्ट’ (केंद्रीय मंदिर व्यवस्थापन कानून) लाना पडेगा । उस माध्यम से मंदिरों को राज्य सरकारों के नियंत्रण से मुक्त कर उनका व्यवस्थापन पुनः हिन्दुओं के हाथ में आएगा ।

५. हिन्दू धर्म में विद्यमान कोई सुधार बताने पर ‘उससे मंदिर में भ्रष्टाचार बढेगा’, जैसे कारण बताकर हिन्दुओं को संगठित होने से रोका जाता है; परंतु प्राचीन काल से हिन्दुओं ने उनके मंदिरों का अत्यंत प्रमाणिकता के साथ मंदिरों का व्यवस्थापन किया है । इसलिए ऐसे जुमलों की बलि न चढते हुए मंदिर पुनः हिन्दुओं के नियंत्रण में आएं; इसके लिए इस अधिवेशन के माध्यम से प्रयास होने चाहिएं ।

६. मंदिरों से मिलनेवाले पैसों का मंदिरों के विकास के लिए नहीं, अपितु अपने खर्चे के लिए उपयोग किया जा रहा है; इसलिए मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने के लिए हिन्दुओं को प्रयास करने चाहिएं ।

समान नागरिक कानून का अंधेपन से समर्थन मत कीजिए ! – एम्. नागेश्वर राव, पूर्व महानिदेशक, सीबीआई

आज के समय में समान नागरिक कानून पर निरंतर चर्चा हो रही है । अधिकांश हिन्दू उसका समर्थन कर रहे हैं; परंतु उस कानून में निश्चितरूप से क्या बताया गया है, इसे जाने बिना अंधेपन से उसका समर्थन मत कीजिए । हम देश में समानता के विचार रखते हैं; परंतु सियार और हिरन को समान अधिकार कैसे दिए जा सकेंगे?