गौहाटी (असम) – असम में भाजपा की सरकार ने राज्य के मुसलमानों के लिए स्वतंत्र परिचयपत्र देने का प्रस्ताव रखा है । जिसकों मुसलमानों के राजनीतिक दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है ।
१. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने गत वर्ष भिन्न भिन्न क्षेत्रों के ‘असमिया मुसलमानों’ से प्रत्यक्ष भेंट की थी। तदुपरांत एक समिति गठित की गई थी । मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘मुसलमानों के हित के लिए एवं असमिया मुसलमानों की विशिष्टता संरक्षित करनेके लिए इस समिति की स्थापना की गई थी’’ । इस समिति ने गत सप्ताह मुसलमानों की पहचान पक्की करनेके लिए स्वतंत्र परिचयपत्र अथवा प्रमाणपत्र एवं अधिसूचना पारित करनेकी अनुशंसा की है ।
२. सरकार द्वारा जारी किए गए इस प्रस्ताव में बंगाली भाषा बोलनेवाले बांगलादेशी मुसलमानों को समाहित नहीं किया गया था; परंतु असम में स्वयंका मूल होने का दावा करनेवाले मुसलमानों का ४ गुट में (गोरिया, मोरिया, देशी और जुन्हा) विभाजन किया गया है । इन सभी को स्वतंत्र परिचयपत्र देने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है ।
३. ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रैटिक फ्रंट के विधायक अमिनुल इस्लाम ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है । उन्होंने कहा है कि ‘‘राज्य सरकार मुसलमानों में फूट डालने का प्रयास कर रही है । हममें से मूल असमिया कौन है ? इसका कोई आधारभूत प्रमाण नहीं है’’ । उन्होंने प्रश्न उठाया है कि, ‘‘असमिया और बंगाली मुसलमानों में विवाह हुए हैं, इसलिए ऐसे परिवारों की पहचान कैसे की जाएगी’’ ?