भारत-नेपाल सीमा के आसपास, मदरसों और मस्जिदों की संख्या में प्रचंड वृद्धि !

  • मुसलमानों की जनसंख्या में भी बडी वृद्धि !

  • गुप्तचर तंत्र सतर्क !

केवल आंकडे एकत्र करना ही उपयोगी नहीं है, अपितु यहां की अनधिकृत मस्जिदों और मदरसों के विरोध में तत्काल प्रभावी कार्रवाई करना अनिवार्य है ! ‘इस तरह का अवैध निर्माण होने तक प्रशासन और गुप्तचर विभाग क्या कर रहे थे ?’ ; इस पर भी त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता है ! – संपादक

प्रातिनिधि छायाचित्र

नई देहली – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में नेपाल सीमा के आसपास मदरसों और मस्जिदों की संख्या बहुत बढ गई है । इसके साथ ही, यहां मुसलमानों की जनसंख्या में वृद्धि होने से गुप्तचर तंत्र सतर्क हो गया है । पडोसी देश नेपाल के साथ भारत के संबंध मैत्रीपूर्ण रहे हैं ; किंन्तु, चिंता की बात यह है कि, नेपाल की सीमा से लगे भारतीय जिलों में मदरसों की संख्या में अमर्याद वृद्धि हुई है । भारत के ७ जिलों के साथ नेपाल की ५५० किमी लंबी सीमा जनसंख्या संतुलन की दृष्टि से संवेदनशील होती जा रही है । गोरखपुर और उसके आसपास के जिलों के साथ लगने वाली नेपाल की सीमा और अधिक संवेदनशील हो गई है । दोनों देशों के अधिकारियों ने मदरसों की संख्या और उनके गतिविधियों पर चर्चा की है ; किंन्तु, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है ।

१. वर्ष २००० में, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में १४७ मदरसे थे । वर्तमान में ५९७ मदरसे हैं, जिनमें से १४५ अपंजीकृत हैं ।

२. महाराजगंज जिले में २५२ मान्यता प्राप्त मदरसे हैं ; किंन्तु, इस जिले की ८४ किलोमीटर लंबी नेपाल सीमा पर मदरसों की संख्या डेढ गुना से भी अधिक है ।

३. भारत की सीमा से लगे नेपाल के रूपन्देही और नवलपरासी जिलों में भी अनेक मदरसे हैं ।

४. नेपाल के बैरहवा में मदरसों में रहने वाले पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आई.एस.आई) के हस्तकों के संबंध में भी जानकारी मिली थी ।

५. भारत की सीमा से लगे ७८४ गांवों में २०५ मदरसे हैं, जबकि नेपाल के १५७ गांवों में ५३ मदरसे हैं ।

६. वर्ष १९९८ में, दो कश्मीरी युवकों को सीमा के समीप  कृष्णानगर, नेपाल में एक मदरसे से बंदी बनाया गया था, वे आई.एस.आई. के हस्तकों से जुडे थे ।

७. बिहार की नेपाल सीमा पर स्थित मधुबनी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और सीतामढी जिलों में गत १० वर्षों में मदरसों की संख्या में अमर्याद वृद्धि हुई है । इस सीमा पर स्थित रक्सौल, रामगढवा, आदापुर, छौडाडानो के छोटे-छोटे गांवों में १४९ छोटे-बडे मदरसे हैं । इनमें से केवल ९ मदरसे ही पंजीकृत हैं । यहां मुसलमानों की जनसंख्या हिंदुओं की तुलना में दोगुनी से भी अधिक हो गई है ।

८. नेपाल की सीमा से लगे परसा, बारा और रौतहट जिलों में भी ३०० से अधिक मदरसे स्थापित किए गए हैं । इनमें से ४५ मदरसे गत ५ वर्षों  में बनाए गए हैं । यहां मुसलमानों की जनसंख्या भी बहुत बढी है ।

९. भारतीय गुप्तचर सेवा के अनुसार, मुसलमानों को लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब से पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश जाने के लिए एक विशेष मार्ग विकसित किया जा रहा है । पिछले १० वर्षों में घुसपैठ करने वाले मुसलमान इसी रास्ते से भिन्न-भिन्न स्थानों पर पहुंचे और वहीं बस गए ।

१०. भारत-पाकिस्तान सीमा से मात्र ५० किमी के क्षेत्र में ३ मस्जिदों के निर्माण के लिए, कश्मीर के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी ।

११. “केरल रिलीफ एंड चैरिटेबल फाउंडेशन ऑफ इंडिया” ने वर्ष २०१९ में पंजाब में ३ मस्जिदों का निर्माण किया । इस संगठन ने कश्मीर के बारामूला के २ लोगों के माध्यम से निर्माण के लिए पैसे भेजे थे । संस्था ने मस्जिद के निर्माण के लिए विदेशों से ७० करोड रुपये जुटाए थे ।