मथुरा (उत्तर प्रदेश) – यहां के चोमा एस.के.एस. आयुर्वेद महाविद्यालय में ‘‘आयुर्वेद से पूर्णत: बिमारी नष्ट होती है; परंतु इसमें विद्यमान वेदरूपी आध्यात्मिक प्रकाश हमारे अंतर्मन के जन्म-जन्म के संस्कार नष्ट होने से ही प्रकट होता है । इसलिए साधना करना आवश्यक है’’, ऐसा प्रतिपादन समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । इस समय महाविद्यालय के डॉ. बृजबिहारी मिश्रा उपस्थित थे । इस कार्यक्रम के आयोजन में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी.एस. पराशर का सहयोग मिला ।