सूर्य नमस्कार योग है धार्मिक उपासना नहीं ! – मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय

काँग्रेस विधायक आरिफ मसूद के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में सूर्य नमस्कार के विरोध में याचिका प्रविष्ट करने का मामला !

धर्मांध कभी भी योग तथा इस जैसी हिन्दुओं की सांस्कृतिक विरासत या परंपरा को धर्म के नाम पर स्वीकार नहीं करते हैं । इसके विपरीत बहुत से जन्म हिन्दू मात्र सर्वधर्मसमभाव के नाम पर दरगाहों पर जाने, रोजे रखने समान कृति करते हैं, यह लज्जास्पद !

काँग्रेस विधायक आरिफ मसूद

भोपाल (मध्यप्रदेश) – राज्य के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में सभी सरकारी शिक्षा संस्थाओं में आयोजित होने वाले सूर्य नमस्कार के कार्यक्रम का विरोध करने के लिए यहां के काँग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । इस पर सुनवाई के समय न्यायालय ने कहा, ‘सूर्य नमस्कार योग है, यह धार्मिक उपासना नहीं । सूर्य नमस्कार स्वास्थ्य और जीवन की आवश्यकता है ।’ सूर्य नमस्कार के कारण अन्य धर्मियों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया जाता है’, मसूद के इन सूत्रों को न्यायालय ने नकार दिया ।

१. मसूद ने याचिका में कहा था कि, सूर्य नमस्कार को सूर्य की पूजा कहा जाता है । सूर्य की पूजा करना इस्लाम के विरोध में है । संविधान हमें सरकारी शिक्षा संंस्थाओें में किसी भी धर्म की शिक्षा या उस पर आधारित कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं देता है ।

२. इस पर न्यायालय ने कहा कि, सूर्य नमस्कार करने के लिए किसी को भी बाध्य नहीं किया जाता । यदि ऐसा किसी आदेश में कहा होगा, तो आप दिखा सकते हैं ।