परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी

भारत की अधोगति का कारण

     ‘स्वतंत्रता के उपरांत आज तक की पीढियों को ‘ईश्वर के अस्तित्व का’ सही ज्ञान न देने के कारण वे भ्रष्टाचारी, वासनांध, राष्ट्र एवं धर्म प्रेम रहित हो गई हैं ।’

राष्ट्र-धर्माभिमानियों, व्यापक बनो !

     ‘राष्ट्र-धर्म अभिमानियों, केवल अपने ही क्षेत्र का नहीं; अपितु व्यापक होने हेतु चिकित्सा, न्याय, पुलिस, शासकीय कार्यालय इत्यादि सभी क्षेत्रों में हो रहे अन्याय को खोजकर, उसके विरुद्ध वैध मार्ग से आवाज उठाओ !’

सनातन संस्था का अनोखापन !

     ‘वर्तमान में समाज में प्रत्येक व्यक्ति मान-सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए विविध पदवियां एवं धन अर्जित करता है । इसके विपरीत, सनातन संस्था में प्रत्येक व्यक्ति किसी भी व्यावहारिक फल की अपेक्षा न रख; तन, मन एवं धन का अधिकाधिक त्याग करता है ।’

हिन्दुओ व्यापक बनो !

     ‘हिन्दुओ, स्वयं के साथ-साथ राष्ट्र एवं धर्म का भी विचार करो !’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले