नई दिल्ली – उपचार के समय मरीज की मृत्यु होने पर इसके लिए डॉक्टरों को दोषी नहींं ठहरा सकते, ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय उच्चतम न्यायालय ने दिया । ‘मरीजों पर उपचार करते समय उनके जीवन की निश्चिति कोई भी डॉक्टर नहीं दे सकता । वे केवल उनकी ओर से सर्वोत्तम उपचार देने का प्रयास कर सकते हैं’, ऐसा न्यायालय ने इस समय कहा । मुंबई अस्पताल और वैद्यकीय संशोधन केंद्र की एक मामले की याचिका पर सुनवाई के समय ‘राष्ट्रीय ग्राहक शिकायत निवारण आयोग’ द्वारा दिया आदेश उच्चतम न्यायालय ने निरस्त कर दिया । इस आदेश में डॉक्टरों की गैरजिम्मेदारी के कारण मरीज की मृत्यु होने पर मरीज के रिश्तेदार को १४ लाख १८ सहस्र रुपए का मुआवजा देने को कहा गया था ।
No doctor can assure life to his patient but can only attempt to treat everyone to the best of his or her abilities, said the Supreme Court on Tuesday
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— Hindustan Times (@htTweets) December 1, 2021
वर्तमान में मरीज का कुछ भी बुरा होने पर, उसका सर्व दोष संबंधित डॉक्टरों पर डालने की मानसिकता निर्माण हो गई है । अनेक मामलों में मरीजों के रिश्तेदार मरीज की मृत्यु स्वीकारने की स्थिति में नहीं होते हैं । कोरोना के संक्रमण के समय में दिनरात मरीजों की सेवा करने वाले डॉक्टरों पर हमले के मामले बढने के विषय में भी न्यायालय ने चिंता व्यक्त की है ।