इसके पूर्व, सर्वोच्च न्यायालय ने अनेक बार तथा विविध उच्च न्यायालयों ने सरकार को विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, देश में समान नागरिक कानून लागू करने का परामर्श दिया है ; परंतु, यह लज्जाजनक बात है, कि अब तक एक भी दल की सरकार ने समान नागरिक कानून बनाने का प्रयास नहीं किया है । हिन्दुओं की यही अपेक्षा है, कि वर्तमान सरकार इसे गंभीरता से लेते हुए शीघ्रतिशीघ्र यह कानून पारित करेगी !- संपादक
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – ‘देश को एक समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है तथा संविधान के अनुच्छेद ४४ को लागू किया जाना चाहिए’, ऐसा प्रतिपादन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंतर-धार्मिक विवाह के संबंध में १७ याचिकाओं पर हुई सुनवाई के समय किया । ‘केंद्र सरकार को अनुच्छेद ४४ के प्रावधानों को लागू करने के लिए, एक समिति गठित करने पर विचार करना चाहिए ।’ न्यायालय ने यह भी कहा है कि, राज्य नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाने के लिए प्रयास करेगा ।
उच्च न्यायालय ने आगे कहा है कि, ‘यह सुनिश्चित करने के लिए, कि अंतर-धार्मिक विवाह करने वालों को अपराधियों के रूप में नहीं माना जाए ; संसद में एक पारिवारिक कानून बनाना, समय की आवश्यकता है । संसद को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए ।’ क्या देश में अलग विवाह एवं पंजीकरण कानूनों की आवश्यकता है ? अथवा यह सब एक पारिवारिक कानून के अंतर्गत आना चाहिए, इस पर विचार करें ।