ग्रीस में ‘हलाल’ पद्धति से पशुवध करने पर प्रतिबंध ! – ग्रीस के सर्वाेच्च न्यायालय का निर्णय

‘हलाल’ पद्धति से पशुहत्या करना अमानवीय ! – न्यायालय का मत

ग्रीस का न्यायालय यदि इस प्रकार का निर्णय दे सकता है, तो भारत सरकार को भी ऐसा निर्णय लेना चाहिए ! साथ ही ‘हलाल’ प्रमाणपत्रों पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए ! – संपादक

     अथेन्स (ग्रीस) – ग्रीस के सर्वोच्च न्यायालय ने ‘हलाल’ पद्धति से पशु की हत्या करने पर प्रतिबंध लगाया है । न्यायालय ने इस वध पद्धति को ‘अमानवीय’ कहा है । पर्यावरण एवं पशुप्रेमी संगठनों द्वारा प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह निर्णय दिया । इन संगठनों ने पशुओं की हत्या करने से पूर्व उन्हें मूर्च्छित करने की मांग की थी । अतः न्यायालय के निर्णय के अनुसार अब ग्रीस में किसी भी पशु की हत्या करने से पूर्व उसे मूर्च्छित करना पडेगा ।

१. न्यायालय ने निर्णय देते हुए कहा कि किसी भी धर्म की प्रथाओं की ओर देखते समय पशुओं के अधिकारों की उपेक्षा नहीं की जा सकती । सरकार को पशुओं के अधिकार एवं धार्मिक प्रथाओं के मध्य सामंजस्य बनाना चाहिए, साथ ही सरकार को देश में स्थित पशुवधगृहों पर ध्यान रखना चाहिए ।

२. ग्रीस के कुछ धार्मिक संगठनों ने न्यायालय के इस निर्णय का विरोध किया है । यहूदियों के यूरोपियन एसोसिएशन के अध्यक्ष रब्बी मर्गोलिन ने इस निर्णय को यहूदियों की धार्मिक स्वतंत्रता में न्यायालय का हस्तक्षेप कहा है । उन्होंने यह भी कहा कि संपूर्ण यूरोप में ही यहूदियों की धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण किया जा रहा है ।

३. इससे पूर्व १७ दिसंबर २०२० को बेल्जियम के न्यायालय ने भी इसी प्रकार का प्रतिबंध लगाया था । उसके अनुसार बेल्जियम के फ्लेमिश शहर में पशुओं की हत्या करने से पूर्व उन्हें मूर्च्छित करना अनिवार्य बना दिया गया था ।

‘हलाल मांस’ क्या होता है ?

     हिन्दू, सिख आदि भारत में प्रचलित धर्मों में ‘झटका’ पद्धति से पशु की हत्या की जाती है । इसमें एक ही वार में पशु की गर्दन काटी जाती है, जिससे पशु को अल्प मात्रा में पीडा होती है । इसके विपरीत हलाल पद्धति में पशु की गर्दन की नस काटकर छोड दिया जाता है । उसके कारण उस पशु का बडी मात्रा में रक्तस्राव होता है और उसके उपरांत तडप-तडपकर उसकी मृत्यु हो जाती है ।

     इस प्रकार से तडपा-तडपाकर मारे गए पशु के मांस को ‘हलाल मांस’ कहा जाता है । इन पशुओं की बलि चढाते समय उनका मुख मक्का की दिशा में रखा जाता है, साथ ही यह काम गैरमुसलमानों से करवाया नहीं जाता ।