हरियाणा में सरकारी कर्मचारी रा.स्व. संघ के कार्यक्रमो में भाग ले सकेंगे !

चंडीगढ़ – १९८०  में  हरियाणा के तत्कालीन मुख्य सचिव कार्यालय ने सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के कार्यक्रमों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया। ऐसा ही एक आदेश १९६७ में जारी किया गया था; इन दोनों आदेशों को अब हरियाणा सरकार ने निरस्त  कर दिया है। अत: अब सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में भाग लेने की स्वतंत्रता है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसकी आलोचना करते हुए कहा, ‘आप सरकार चला रहे हैं या बीजेपी और संघ की एक शाखा ?

हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने इतिहास में की गई अनेक त्रुटियों को बदलने का साहस दिखाया ! – सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस।

श्री. चेतन राजहंस

नई दिल्ली – ‘हरियाणा सरकार के कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) की शाखा के साथ-साथ विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं’ के विषय में  भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार द्वारा जारी एक परिपत्र तत्कालीन सरकार द्वारा की गई बहुत बड़ी ऎतिहासिक  भूल को सुधार रहा है। इसी के साथ-साथ सरकार ने इतिहास में की गई उनकी गलतियों को बदलने का साहस दिखाया है, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने व्यक्त किया।

श्री. राजहंस ने आगे कहा कि वर्ष १९८०  में जनता दल की केंद्र सरकार गिर गई और इंदिरा गांधी सत्ता में वापस आ गईं। १९७७  में पहली बार कांग्रेस को देशव्यापी पराजय  का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा, “इस पराजय  का एकमात्र कारण संघ था ।” इसलिए १९८०  में केंद्र और राज्यों में सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस के शासकों ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नियम बनाया जिसके अनुसार  कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी संघ की शाखाओं और कार्यक्रमों में सहभाग नहीं ले सकता था। यह निर्णय इस बात का एक आदर्श उदाहरण था कि कैसे कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए विपक्ष को कानून से बांध दिया  । यह निर्णय राजनीति से प्रेरित था और इसे सीधे शब्दों में कहें तो एक “फासीवादी” तानाशाही थी। इस निर्णय  ने लोकतंत्र और संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हत्या कर दी। पिछले ४१ वर्षों से इस निर्णय का पालन सर्वदलीय सरकारों द्वारा सरकारी कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करते हुए किया जा रहा है। अतः यह कहा जा सकता है कि हरियाणा सरकार के उदारमत  के कारण ही हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार दिया गया है। जिस तरह स्वतंत्रता  के उपरांत दासता  के निशान मिटाने की आवश्यकता है, उसी प्रकार  पुराने शासकों द्वारा की गई ऐतिहासिक भूलों  को सुधारने की नितांत आवश्यकता  है। इतिहास में की गई गलतियों को बदलने का साहस दिखाने के लिए हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार अभिनंदन की पात्र है।