नवंबर महिने से पाठ्यक्रम का आरंभ !
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वाराणसी – आज के समय के कानूनों में विद्यमान त्रुटियों के कारण अपराधी छूट जाते हैं; परंतु प्राचीन न्यायतंत्र में ऐसा होना संभव नहीं था, इसे ध्यान में लेकर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्रों को वैदिक काल के कानून सिखाए जानेवाले हैं । इस विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केंद्र में नवंबर महिने से वैदिक विधि शास्त्र के एक वर्ष अवधि का पाठ्यक्रम आरंभ किया जानेवाला है ।
१. यह पाठ्यक्रम संपूर्ण देश के विधिज्ञों के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है । इस पाठ्यक्रम के माध्यम से वेदों के आधार पर कानून-व्यवस्था कैसे बनाई रखी जा सकेगी, यह सिखाया जानेवाला है ।
२. इस पाठ्यक्रम में वेदों पर आधारित न्यायप्रणालीसहित नैतिक शिक्षा का विषय भी अंतर्भूत किया गया है ।
३. आज कानून की सीमित परिभाषा के कारण नैतिकता के आधार पर उचित न्याय नहीं मिलता । इस त्रुटि के संदर्भ में भारत के वैदिक ग्रंथ न्यायमीमांसा के आधार पर क्या समाधान निकाला जा सकता है, यह भी इस पाठ्यक्रम में सिखाया जानेवाला है ।
४. वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक प्रा. उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि न्यायमीमांसा के १ सहस्र श्लोकों में अत्यंत विधिवत पद्धति से न्यायव्यवस्था से संबंधित सूत्र रखे गए हैं । छात्रों को इन श्लोकों का अर्थ बताकर उनकी शिक्षा दी जाएगी । किसी भी प्रकरण में वैदिक न्याय के आधार पर कौनसा निर्णय लिया जा सकता है, यह सिखाया जाएगा ।
५. वैदिक विधि शास्त्र में न्यायमीमांसा, राजधर्म, सुशासन आदि के विषय में विस्तृत मार्गदर्शन किया जानेवाला है । साथ ही उसमें संस्कृत के शब्दों, कर्तव्यों पर आधारित न्याय, पारिवारिक कानूनों, वैवाहिक संबंध, पितृत्व, संतति, गोद पुत्र विधि, संयुक्त हिन्दू परिवार, उत्तराधिकारी विधि, हिन्दू महिलाओं का सांपत्तिक अधिकार इत्यादि सूत्रों पर विस्तृत शिक्षा दी जानेवाली है ।