असम में बीजेपी को ‘मियां मुसलमानों’ के मत नहीं चाहिए ! – मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सर्मा , असम

  • स्वतंत्रता के उपरांत राजनेताओं द्वारा मतपेटी को ध्यान में रखकर बड़ी संख्या में मुसलमानों का तुष्टीकरण किया गया । इससे बहुसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ । उनके साथ दूसरे श्रेणी के नागरिकों जैसा व्यवहार किया गया । इस पृष्ठभूमि में  हिमंत बिस्वा सरमा की नीति बहुसंख्यक हिन्दुओं को दिलासा देने वाली  है ! – संपादक

  • क्या अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी ऐसा विचार करते  हैं ? यदि ऐसा है, तो हिन्दू धर्मावलंबियों का ऐसा विचार है कि उन्हें भी इस प्रकार का वक्तव्य देना चाहिए । मुख्यमंत्री को इससे आगे बढ़कर हिन्दुओं के हित में निर्णय लेने में सक्रिय रहना चाहिए ! – संपादक

नई दिल्ली – बाहर से आए हुए मुसलमानों की घुसपैठ के कारण असम ने अपनी पहचान, संस्कृति और भूमि गवां दी है । उनकी जनसंख्या में प्रचंड वृद्धि के कारण अतिक्रमण भी बढ़ गया है । भारतीय जनता पार्टी असम में ‘मियां मुसलमानों’ के मत नहीं चाहती है, इसलिए मैं उनके पास नहीं जाता और वे भी मेरे पास नहीं आते । असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि ‘अतिक्रमण उन्मूलन’ अभियान जारी रहेगा ।

इंडिया टुडे की ओर से हाल ही में एक चर्चा सत्र का आयोजन किया गया था । इस संगोष्ठी में मुख्यमंत्री सर्मा ने भाग लिया था । उस समय उन्होंने उपरोक्त वक्तव्य दिया था । असम के ३३ जिलों में से १५ जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का दबदबा है । घुसपैठियों ने २६ वैष्णव मठों की ५,५४८ बीघा भूमि पर नियंत्रण कर लिया है । साथ ही राज्य की ४ लाख हेक्टेयर वन भूमि पर भी अतिक्रमण कर लिया गया है । यह क्षेत्र राज्य की कुल वन भूमि का २२ प्रतिशत है । एक सरकारी प्रतिवेदन से यह उजागर हुआ है, कि घुसपैठियों ने इन क्षेत्रों  में गांव के गांव बसा लिए हैं ।