फ्रांस के कैथोलिक गिरजाघरों में, वर्ष १९५० से पादरियों सहित हजारों लोग बच्चों का शोषण कर रहे थे ! – जांच आयोग का प्रतिवेदन

  • वासनांध पादरी ! भारत में, पादरियों को चित्रपट आदि में विनम्र, सुसंस्कृत और प्रेम करने वाले के रूप में चित्रित किए जाने से, पादरी ऐसा भी कर सकते हैं, यह भारतीय सामाजिक माध्यम दिखाने का साहस नहीं करते । फलस्वरूप, ऐसे समाचार दबा दिए जाते हैं । इसलिए, ऐसे समाचार लोगों को पढने के लिए उपलब्ध नहीं होते ! – संपादक

  • विदेशों में पादरियों की वासना और समलैंगिकता के सैकडों प्रकरण  प्रकाश में आ चुके हैं । इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा, कि ईसाइयों के मन में ‘पादरी अर्थात वासनांध व्यक्ति’, ऐसी छवि बन रही है ! – संपादक

पेरिस (फ्रांस) – फ्रांस में कैथोलिक चर्च में, १९५० के दशक से बच्चों का शोषण करने वाले व बच्चों को हीन दृष्टि से देखने वाले व उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले लोग थे । इसमें पादरी भी सम्मिलित थे । इस प्रकरण में, जांच करने के लिए गठित एक स्वतंत्र आयोग के प्रमुख जीन-मार्क सोवे ने एक प्रतिवेदन प्रकाशित करने से पहले, सामाजिक माध्यम पर यह जानकारी दी । यह विवरण २५०० पत्रों का है । इसमें अपराधियों और पीडितों की संख्या के विषय में जानकारी है । इसमें यह भी बताया गया है, कि चर्च में आरोपी कैसे सक्रिय थे एवं किसने, कैसे उसके लिए चर्च प्रणाली का दुरुपयोग किया । विवरण में ४५ प्रस्ताव भी दिए जाएंगे ।

१. सोवे ने कहा, कि आयोग की जांच में पाया गया कि २,९०० लोग और चर्च के अन्य सदस्य सक्रिय थे । वास्तव में, यह संख्या अधिक हो सकती है, अर्थात् शोषकों की संख्या अधिक है ।

२. कैथोलिक चर्च में यौन उत्पीडन की घटनाएं लगातार बढ रही हैं । पोप फ्रांसिस ने इसे रोकने के लिए ऐतिहासिक उपायों की घोषणा की । तदनुसार, यौन शोषण की घटनाओं की जानकारी रखने वाले चर्च के कर्मचारियों को अपने वरिष्ठों को उसकी सूचना देना आवश्यक था । ऐसी और भी जानकारियां सामने आई हैं ।

३. फ्रेंच कैथोलिक चर्च द्वारा, २०१८ में एक स्वतंत्र आयोग का गठन किया गया था । आयोग में २२ न्यायविद, डॉक्टर, इतिहासकार, समाजशास्त्री और धर्मशास्त्री सम्मिलित थे । १९५० से आयोग को पादरियों द्वारा किए गए यौन शोषण की जांच करने का काम सौंपा गया था । आयोग ने इस संबंध में कई साक्ष्य लिए । अनेक लोगों ने दूरध्वनि पर भी घटनाओं की सूचना दी ।