अगरतला (त्रिपुरा) – “अनेक अधिकारियों ने मुझसे कहा है, कि वे न्यायालय की अवमानना के भय के कारण एकाध काम नहीं कर सकते । ऐसा भय क्यों है ? न्यायालय निर्णय देने का कार्य करता है ; परंतु, पुलिस कार्यवाही करती है तथा पुलिस मेरे नियंत्रण में हैं । न्यायालय की अवमानना के प्रकरणों में अब तक कितने लोगों को कारावास हो चुका है ? न्यायालय की अवमानना के प्रकरण में आपके कारागृह जाने से पूर्व मैं (कारागृह) जाऊंगा । किसी को कारागृह में डालना आसान नहीं होता है । यदि न्यायालय पुलिस को किसी व्यक्ति को कारागृह में डालने के लिए कहती है, तो पुलिस कह सकती है, ‘आरोपी मिला ही नहीं । अंत में, शक्ति तो पिता के हाथ में ही होती है ना ?”, ऐसे वक्तव्य त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने एक समारोह में बोलते हुए किए । इस भाषण का वीडियो प्रसारित होने के पश्चात, विपक्ष इसकी आलोचना कर रहा है । ‘स्वयं मुख्यमंत्री न्यायपालिका का अपमान कैसे कर सकते हैं ?’, ऐसा प्रश्न प्रस्तुत किया जा रहा है ।
त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब का विवादित बयान.#Tripura #BiplabKumarDeb @BjpBiplab @CmoTripura https://t.co/e64wJ8AtcV
— ZEE HINDUSTAN (@Zee_Hindustan) September 27, 2021
तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, कि देब ने लज्जाहीनता से लोकतंत्र का उपहास किया है । उन्होंने माननीय न्यायप्रणाली का प्रकट रूप से उपहास किया है । क्या न्यायालय एवं न्यायप्रणाली के प्रति गंभीर अनादर दिखाने वाले देब के वक्तव्यों पर सर्वोच्च न्यायालय ध्यान देगा ? ऐसा प्रश्न भी उन्होंने उठाया है ।