हिन्दू विरोधी झारखंड मुक्ति मोर्चा सत्तारूढ होने से झारखंड, हिन्दुओं के धर्मांतरण का अड्डा बन गया है । ईसाई प्रचारक, लोगों को लुभाकर और फुसलाकर आदिवासियों का धर्मांतरण करते हैं । इसलिए, स्वाभाविक है कि, रीति-रिवाजों का पालन करने वाले मूल आदिवासियों और उनका तिरस्कार करने वाले धर्मान्तरित लोगों के बीच संघर्ष होगा । अत:, धर्मांतरण आपस में मिलजुल कर रहने वाले भारतीय समाज के लिए कैंसर जैसा रोग है । इसके अधिक फैलने के पूर्व, धर्मांतरण विरोधी कानून बनाकर केंद्र सरकार को इसे रोकना चाहिए !– संपादक
रांची (झारखंड) – पश्चिम सिंहभूम के दुरूला गांव में, धर्मांतरित आदिवासी परिवार के एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई । आदिवासी समुदाय ने तब शव को उनके ससन दिरी शमशान भूमि में दफनाने का विरोध किया । पुलिस के हस्तक्षेप के उपरांत, अंतत: शव को परिवार के घर के आंगन में दफनाने का निर्णय लेना पडा ।
बताया जा रहा है, कि घटना १४ सितंबर की है । संबंधित परिवार ने शव को दफनाने के लिए, ‘हो’ समुदाय के ससन दिरी शासन भूमि में गड्ढा खोदना आरंभ किया । तब अन्य आदिवासियों ने उन्हें रोका । इसकी जानकारी ग्रामीणों ने आदिवासी ‘हो’ समाज युवा महासभा के सदस्यों को दी । इसके उपरांत गांव में बैठक हुई । इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि, ‘संबंधित परिवार के शव को शमशान भूमि में नहीं दफनाया जा सकता’ । प्रकरण पुलिस तक पहुंच गया । पुलिस के हस्तक्षेप के बाद, धर्मांतरित परिवार ने शव को अपने घर के आंगन में दफनाने का निर्णय लिया । ‘हो’ समुदाय के अनुसार, आदिवासी परिवार के व्यक्ति के शव को धर्मांतरण के बाद, समुदाय के ससन दिरी शमशान भूमि में नहीं दफनाया जा सकता ।