कोरोना के उपचार में प्रभावी है आयुर्वेदिक औषधि, ‘अणु तेल’ ! – नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड

  • आयुर्वेद में अणु तेल को नाक में डालने की विधि हजारों वर्षों से चली आ रही है । आधुनिक विज्ञान भी यही कह रहा है । यह आयुर्वेद के महत्व को दर्शाता है ! – संपादक

  • ध्यान दें, कि हिन्दुओं को ‘गोमूत्र पीने वाले’ और ‘जंगली संस्कृति के लोग’ कहने वाले तथा हिन्दुत्व को नष्ट करने के लिए काम करने वाले विद्वान, अब इसके संबंध में एक शब्द भी नहीं बोलेंगे ! – संपादक

नई दिल्ली – नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड (NMPB) ने कोरोना के निवारक उपचार के रूप में, नाक में अणु तेल या तिल के तेल के उपयोग की अनुशंसा की है । संसर्ग के नियंत्रण के साथ-साथ, रोग की गंभीरता को कम करने के लिए इन तेलों का उपयोग फेफडों में विषाक्त पदार्थों की मात्रा को कम करने के साथ निमोनिया की गंभीरता को कम करता हुआ पाया गया है ।

कोरोना वायरस का संक्रमण श्वास नली के ऊपरी भाग से प्रारंभ होता है । संक्रमण, रोगी के फेफडों को प्रभावित करता है और उन्हें सांस लेने में कष्ट होता है । एक उपाय के रूप में, विषाणु को श्वास नली में प्रवेश करने से रोकने के प्रयास किए जाने चाहिए । बोर्ड ने कहा है, कि इसके लिए नाक में अणु तेल या तिल का तेल डालें । बिना तेल के उपचार करने वाले रोगियों की तुलना में, अणु तेल का उपयोग करने वाले कोरोना के रोगियों में फेफडों में संक्रमण कम पाया गया है । यद्यपि, उपचार में प्रयोग होने वाले तिल के तेल से रोगियों के फेफडों के संक्रमण में अधिक अंतर नहीं पडा । तथापि, अणु तेल के उपचार ने विषाक्त पदार्थों की मात्रा तथा रोग की गंभीरता को भी न्यून कर दिया ।