(कहते हैं) ‘तालिबान को महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, यह ज्ञात न होने से उन्हें इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा !’ – तालिबान

  • महिलाओं और लडकियों के साथ किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए, इसका सामान्य ज्ञान भी न होनेवाले कहते हैं कि वे अफगानिस्तान पर राज्य करेंगे ! – संपादक

  • भारत के कुछ मुसलमान नेता और संगठन ऐसे तालिबान का खुलेआम समर्थन कर रहे हैं, इसे धर्मनिरपेक्षतावादी और आधुनिकतावादी कब ध्यान में लेंगे ? – संपादक
(प्रातिनिधिक छायाचित्र)

काबुल (अफगानिस्तान) – तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने पत्रकार परिषद में बताया कि महिलाएं और लडकियां घर पर ही सुरक्षित रह सकती हैं । वे घर से बाहर न निकलें; क्योंकि तालिबानियों को महिलाओं का सम्मान रखने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है । महिलाओं को घर पर रहने का दिया गया यह परामर्श तात्कालिक है । इसे आदेश न माना जाए । महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार न हो; इसके लिए तालिबानियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा । (इससे पूर्व तालिबानियों द्वारा महिलाओं पर हुए अत्याचारों को देखते हुए क्या एक भी तालिबानी पर महिलाओं का सम्मान करने का संस्कार है ? यदि उन्हें ऐसे संस्कार ही न मिले हों, तो वे अन्य तालिबानियों को क्या सिखाएंगे ? – संपादक) तालिबान ने इससे पूर्व बताया था कि महिलाओं के संदर्भ में अधिक उदारवाद की नीति रहेगी । उन्हें शिक्षा लेने की और काम करने की छूट होगी; परंतु कुछ ही दिनों में उन्होंने अपनी भूमिका बदली है, ऐसा दिखाई दिया है ।

वर्ष १९९६ से २००१ तक अफगानिस्तान पर तालिबान की सत्ता थी । उस अवधि में तालिबानियों ने महिलाओं के जीवन को नरक बना दिया था । महिलाओं को सडक के मध्य में चाबूक से पीटा जाता था, साथ ही कुछ दंडपद्धतियों के अंतर्गत उन्हें पत्थर से कुचलकर मार डाला जाता था ।