भारत में बांगलादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठियों को आधार कार्ड, पैन कार्ड आसानी से उपलब्ध होता है; मात्र इस्लामी राष्ट्रों से भारत में आए सिख और हिन्दुओं को नागरिकता कानून में सुधार होने पर भी नागरिकता नहीं मिलती है, यह सरकारी तंत्र के लिए लज्जास्पद ! केंद्र सरकार हिन्दू और सिखों को नागरिकता मिलने के लिए तुरंत कदम उठाए, ऐसी अपेक्षा है ! – संपादक
नई दिल्ली – अफगानिस्तान से कुछ दशकों पूर्व भारत में आश्रय लेने वाले हिन्दू और सिख परिवारों को अभी भी भारत की नागरिकता नहीं मिली है । देश में नागरिकता सुधार कानून (सीएए) पारित होने पर भी इन हिन्दू और सिखों को नागरिकता न मिलती हुई दिखाई दे रही है ।
१. यह हिन्दू और सिख परिवार भारत में अनिश्चितता का जीवन जी रहे हैं । उनको प्रतिवर्ष वीजा (अन्य देशों में रहने की अनुमति देने वाला पत्र) का समय बढाने के लिए कागजपत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है । उन्हें कभी भी देश छोड़ने के लिए कहा जा सकता है और भारतीय नागरिकों की तुलना में उन्हें सीमित कानूनी अधिकार प्राप्त हैं ।
२. नागरिकता सुधार कानून पारित होने के बाद भाजपा के स्थानीय नेताओं ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिन्दू और सिख परिवारों को एकत्रित करते हुए वर्ष २०२० में अमृतसर के तत्कालीन उपायुक्त शिवदुलार सिंह के साथ उनकी बैठक रखी थी । इन परिवारों ने ‘हमें जल्द से जल्द नागरिकता सुधार कानून के अंतर्गत लागू की गई सुविधाएं मिलनी चाहिएं, ऐसी प्रार्थना की थी; लेकिन अभी तक कुछ भी हुआ नहीं है ।
किसी को भी भारत में आने के लिए नहीं कहेंगे ! – अफगानी निर्वासित
१. अमृतसर के एक अफगानी निर्वासित ने बताया, ‘अफगानिस्तान से भारत में आए हमारे अनेक रिश्तेदार ‘कभी तो भारतीय नागरिकता मिलेगी’, इसकी राह देखते देखते मृत्यु के मुख में चले गए । मैं अब किसी को भी भारत आने की सलाह नहीं दूंगा ।
२. काबुल में सौंदर्य प्रसाधन की दुकान चलाने वाले गुरमीत सिंह ने कहा कि, हमें नहीं लगता कि, भारत अफगानिस्तान के हिन्दू और सिख परिवारों के लिए अच्छा पर्याय है । हमारे अनेक रिश्तेदार इसके पहले भी भारत में आए हैं । भारत में उनकी स्थिति अच्छी नहीं है । उनमें से कुछ लोग वापस अफगानिस्तान चले गए थे । भारत में निर्वासितों के विषय में कोई भी स्पष्ट नीति नहीं है ।
सुधारित नागरिकता कानून क्या है ?
धार्मिक प्रताड़ना से परेशान होकर पाकिस्तान, बांगलादेश और अफगानिस्तान इन देशों से ३१ दिसंबर २०१४ तक भारत में आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध ढंग से आए, ऐसा माना नहीं जाएगा और उनको भारतीय नागरिकता दी जाएगी, ऐसी व्यवस्था सुधारित नागरिकता कानून में की गई है ।