(कहते हैं) ‘तालिबान को अफगानिस्तान को आतंकवादियों का आश्रय स्थान नहीं बनाना चाहिए !’ – तालिबान ने मित्रता के संबंध स्थापित करने वाले चीन की निरर्थक चेतावनी 

आतंकवादियों का कारखाना है पाकिस्तान जो चीन का मित्र है । तालिबानियों से मित्रतापूर्ण संबंध हैं, ऐसा भी चीन ने कहा था । ऐसा होते हुए इस चेतावनी को क्या अर्थ है ? अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने चीन के ऐसे विधानों पर बिल्कुल विश्वास नहीं रखना चाहिए ! – संपादक

न्यूयॉर्क (अमेरिका) – आप (तालिबान) शांति से राज्य करें; लेकिन अफगानिस्तान को आतंकवादियों का आश्रय स्थान न बनाए, ऐसी निरर्थक चेतावनी चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपत्कालीन बैठक में दी है । चीन ने सुरक्षा परिषद के उप स्थायी प्रतिनिधि गेंग शुआंग ने यह चेतावनी दी है । एक दिन पूर्व ही चीन ने तालिबान से ‘मैत्रीपूर्ण संबंध’ रखने का कहा था और अब दूसरे ही दिन ऐसा विधान किया है ।

१. गेंग शुआंग ने कहा कि, सभी देशों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव अनुसार स्वयं का दायित्व पूरा करना चाहिए । इस्लामिक स्टेट, अल कायदा जैसे आतंकवादियों से लड़ने के लिए एक दूसरे के साथ काम करना चाहिए । अल कायदा पूर्व तुर्किस्तान में पुन: सक्रिय हो सकता है । इस कारण इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।

२. ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ यह प्रतिबंधित आतंकवादी संघठन अल कायदा की ही शाखा है और वह चीन के उघूर मुसलमान बाहुल्य शिनजियांग प्रांत को मुक्त करने के लिए लड़ रही है ।