नन और पादरी के वेतन में से कर लेना चाहिए ! – केरल उच्च न्यायालय का आदेश

धारा २५ धर्म के आधार पर कर में कोई भी छूट नहीं दी जाती है !

प्रत्येक कमाने वाले भारतीय को कर भरना ही चाहिए । इस कर से ही देश का कामकाज चलाया जाता है । इसके लिए पादरी और नन अलग कैसे हो सकते हैं ? ‘उन्हें कर नहीं देना है, तो उन्हें इस देश में नहीं रहना चाहिए’, ऐसा किसी के कहने पर गलत क्या है ? – संपादक

तिरूअनंतपुरम् (केरल) – केरल उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते समय, ‘संविधान की धारा २५ के अनुसार धर्म के आधार पर किसी को भी कर देने से छूट नहीं दी जा सकती है । यह धारा धर्म स्वतंत्रता का हनन नहीं करती है । नन और पादरी के वेतन से टी.डी.एस. (कर) काटना आवश्यक है । आयकर अधिनियम के अंतर्गत वेतन मिलता है, तो टी.डी.एस. काटा ही जाना चाहिए ’, ऐसा स्पष्ट किया है ।

वर्ष १९४४ में सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थाओं की ओर से नन और पादरी को दिए जाने वाले वेतन पर कर नहीं था; लेकिन वर्ष २०१४ में इस नियम में सुधार करते हुए नन और पादरी को इस कानून में शामिल किया गया है । इस सुधार को न्यायालय में चुनौती दी गई थी ।