पाटलीपुत्र (बिहार) यहां का ४ मंजिला अवैध वक्फ भवन एक माह में गिराएं ! – पटना उच्च न्यायालय का आदेश 

५ न्यायाधीशों में से अहसानुद्दीन अमानुल्लांह इस न्यायाधीश का भवन गिराने के विरोध में मत !

  • ४ मंजिला इमारत अवैध ढंग से बनाए जाते समय प्रशासन और पुलिस सो रही थी क्या ? वक्फ भवन के एवज में हिन्दुओं का कोई धार्मिक भवन ऐसे अवैध ढंग से किसी ने बनाया होता, तो प्रशासन कभी मूकदर्शक बनकर बैठा रहता क्या ? – संपादक
  • ‘एक विशिष्ट धर्म का निर्माण होने से उसे प्रशासन की ओर से सहारा देने का प्रयास किया जा रहा है क्या ?’ ऐसा प्रश्न जनता के मन में आने पर इसमें आश्चर्य क्या ? – संपादक
  • न्यायालय के पास अवैध निर्माण कार्य करने के लिए वक्फ बोर्ड हिम्मत करता है, इसका अर्थ यह है कि उसे कानून का डर नहीं रह गया, यही दिखाई देता है । ऐसे संघठन को सही राह पर लाने के लिए सरकारी तंत्र क्या करने वाला है ? – संपादक
वक्फ भवन’

पाटलीपुत्र (बिहार) – पटना उच्च न्यायालय के पास बनाया गया ४ मंजिला ‘वक्फ भवन’ अवैध घोषित कर उसे गिराने का आदेश उच्च न्यायालय ने दिया है । ५ न्यायाधीशों की खंडपीठ  के यह आदेश देते समय अश्विनी कुमार, विकास जैन, राजेंद्र कुमार मिश्रा और चक्रधारी शरण सिंह इन ४ न्यायाधीशों ने इस निर्णय के पक्ष में, तो अहसानुद्दीन अमानुल्लाह इन एक न्यायाधीश ने विरोध में मत दिया है । न्यायाधीश अमानुल्लाह ने यह भवन अवैध मानने से मना कर दिया । साथ ही उन्होंने, ‘पूरा भवन गिराए जाने की आवश्यकता नहीं, केवल १० फुट निर्माण कार्य अवैध है, तो उसपर ही कार्यवाही करनी चाहिए’, ऐसा मत व्यक्त किया । यह भवन ‘बिहार स्टेट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ ने ‘बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बोर्ड’ के लिए बनाया था । इसका प्रयोग वक्फ बोर्ड ‘मुसाफिरखानना’ (धर्मशाला) के रुप में करता था ।

१. न्यायालय ने आदेश में कहा कि, किस अधिकारी के कारण अवैध वक्फ भवन बनाया गया और इस कारण १४ करोड़ रुपए बरबाद हुए ? (न्यायालय को संबंधित अधिकारी से १४ करोड रुपए वसूल करने का आदेश देना चाहिए, ऐसा जनता को लगता है ! – संपादक)

२. न्यायालय ने पाटलीपुत्र महापालिका को आदेश देते हुए कहा कि, यदि निर्माण विभाग यह अवैध निर्माण गिराने में असफल होता है, तो आपने यह कार्यवाही पूरी करनी चाहिए । (निर्माण विभाग यदि जानबूझकर यह अवैध निर्माण गिराना टालता है, तो न्यायालय को उस पर भी कार्यवाही करनी चाहिए ! – संपादक)

३. न्यायालय ने इस समय पूछा कि, कोरोना संकट के समय कहीं भी निर्माण काम न होते हुए भी इस काल में और वो भी इतना जल्द गति से भवन कैसे बनाया गया ? (इसका अर्थ इस अवैध निर्माण कार्य को प्रशासन और अन्य सरकारी विभागों का समर्थन था, ऐसा ध्यान में आता है ! ऐसे सभी की जांच कर उनको सजा होने के लिए न्यायालय को आगे आना चाहिए, ऐसा जनता को लगता है ! – संपादक)