नन अभया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काटने वाले पादरी और नन को पेरोल !

केरल उच्च न्यायालय की ओर से राज्य की कम्युनिस्ट नेतृत्व वाली सरकार को स्पष्टीकरण देने का आदेश

  • केरल की कम्युनिस्ट नेतृत्व वाली सरकार ईसाइयों की दास होने से स्वयं के अधिकारों का प्रयोग कर खूनियों को सहायता करने का इस प्रकार प्रयास कर रही है । इस विषय में ढोंगी धर्मनिरपेक्षतावादी और कानून प्रेमी मुंह नहीं खोलते, यह ध्यान दें !
  • झूठे आरोपों में हिरासत में लिए गए निरपराध हिंदुत्वनिष्ठों को कभी कम्युनिस्ट सरकार ने ऐसी छूट दी होती क्या ?
पादरी थॉमस और नन सेफी
पादरी थॉमस और नन सेफी

तिरुवनंतपुरम् (केरल) – राज्य की नन अभया हत्याकांड के दोषियों को ‘पेरोल’ पर (कैदियों को तय समय के लिए सशर्त छोडना) छोडने के मामले में केरल उच्च न्यायालय ने राज्य की कम्युनिस्ट नेतृत्व वाली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है । इन दोषियों को दिया गया पेरोल तत्काल वापस लेने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते समय न्यायालय ने स्पष्टीकरण मांगा है ।

राज्य के कोट्टयम के सेंट पायस कॉन्वेंट में रहने वाली नन अभया का मृत शरीर एक कुंए में २७ मार्च १९९२ के दिन मिला था । उनकी मृत्यु के २८ वर्ष उपरांत सी.बी.आई. न्यायालय ने २३ दिसंबर २०२० को पादरी थॉमस और नन सेफी को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी । नन अभया द्वारा पादरी थॉमस और नन सेफी को आपत्तिजनक अवस्था में देखने के कारण इन दोनों ने उनकी हत्या कर दी थी । (इससे पादरी और नन की गुनहगारी मानसिकता दिखाई देती है ! – संपादक )