बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों का टीकाकरण होता है; फिर विस्थापित हिन्दुओं का क्यों नहीं ? – जय आहुजा, ‘निमित्तेकम्’, राजस्थान

विशेष ‘ऑनलाइन’ परिसंवाद ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ के अंतर्गत ‘कोरोना टीकाकरण में ‘सेक्युलरवादियों’ द्वारा हिन्दू-मुसलमान भेद’ विषय पर चर्चासत्र

श्री. जय आहुजा

पुणे(महाराष्ट्र)- ‘जोधपुर (राजस्थान) में कांग्रेस के २ अल्पसंख्यक विधायक हैं । उन्होंने संगठित होकर उनके मतदार संघ में विशेष कोविड केंद्र खोला एवं वहां आनेवालों को कोरोना के लिए टीका लगाना अनिवार्य किया । इसके अंतर्गत राजस्थान में अनेक बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या घुसपैठियों का टीकाकरण किया गया । फिर पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं का टीकाकरण क्यों नहीं हो रहा ? पाकिस्तान के विस्थापित हिन्दू शरणार्थियों के पास पहचान पत्र एवं पारपत्र (वीसा) है । वे घुसपैठ न कर, वैध मार्ग से भारत आए हैं । ऐसा होते हुए भी क्या उनके जीवन का कोई मोल नहीं ? यह कौन-सा ‘सेक्युलरिज्म’ (धर्मनिरपेक्षतावाद) है ? उन्हें न्याय दिलाने के लिए न्यायालय में जाना पडा, यह दुर्भाग्य की बात है’, ऐसा प्रतिपादन राजस्थान के ‘निमित्तेकम्’ संगठन के अध्यक्ष श्री. जय आहुजा ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’, इस विशेष ‘ऑनलाइन’ परिसंवाद के अंतर्गत ‘कोरोना टीकाकरण में ‘सेक्युलरवादियों’ द्वारा हिन्दू-मुसलमान भेद’, इस ‘ऑनलाइन परिसंवाद’ में वे बोल रहे थे । यह कार्यक्रम हिन्दू जनजागृति समिति के जालस्थल, यू ट्यूब एवं ट्विटर द्वारा ४ सहस्र ५०० से भी अधिक लोगों ने देखा ।

कोरोना पर टीका लगने के लिए धर्म के आधार पर भेदभाव करना, संविधान के तत्त्वों का उल्लंघन है ! – अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित, राजस्थान उच्च न्यायालय

अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित

१. इन शरणार्थियों के संदर्भ में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से ६ मई २०२१ को ‘मानक संचालन प्रक्रिया’ (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स) नामक एक आदेश जारी किया । इस आदेश में ‘पाकिस्तान से आए विस्थापित परिवार को कोरोना प्रतिबंधित टीका लगाना बंधनकारक है’, ऐसा स्पष्ट उल्लेख है । ऐसा होते हुए भी राजस्थान सरकार ने २७ मई २०२१ तक उनके टीकाकरण के लिए एक कदम भी नहीं उठाया ।

२. शरणार्थी हिन्दुओं को धर्मनिरपेक्षता मान्य नहीं । वे हिन्दू धर्म का पालन करते हैं । इसलिए हिन्दूद्वेषी राजस्थान सरकार ने उनकी उपेक्षा की । हिन्दू शरणार्थियों को टीका लगाना, केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित योजनाओं के अंतर्गत अनाज की आपूर्ति करना, भोजन देना आदि से जानबूझकर वंचित रखा गया ।

३. सरकार के उपरोक्त अनुचित प्रकार हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के ध्यान में आने पर, उन्होंने शरणार्थियों के लिए सर्व व्यवस्था की ।

हज यात्रियों को ‘फ्रंट लाइन वर्कर्स’ (अत्यावश्यक सेवा के कर्मचारी) घोषित करना, केरल सरकार के अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण है ! – बिनिल सोमसुंदरम्, अध्यक्ष, ‘अन्नपूर्णा फाउंडेशन’, केरल

केरल में साम्यवादी सरकार ने हज यात्रियों को ‘फ्रंट लाईन वर्कर्स’ (अत्यावश्यक सेवा के कर्मचारी) घोषित किया है; परंतु विदेश में पढनेवाले विद्यार्थियों को टीका देने की व्यवस्था नहीं की । कोरोना आपत्ति में मठ-मंदिरों द्वारा केरल सरकार को करोडों रुपयों की आर्थिक सहायता की गई । अनेक मंदिरों ने ‘कोविड सेंटर’ आरंभ किए; परंतु सरकार ने हज यात्रा की निधि कोरोना के लिए दी, ऐसा एक भी उदाहरण नहीं ? ऐसा होते हुए भी टीकाकरण के लिए हिन्दुओं से पैसे लेना एवं हज यात्रियों को नि:शुल्क टीकाकरण करना, यह सत्ता के लिए मुसलमानों की चापलूसी है । इसके लिए केरल में साम्यवादी सरकार किसी भी स्तर तक जा सकती है ।
आज कोई भी राजकीय दल अथवा राजनेता हिन्दुओं के लिए उसकी ओर से खडा नहीं होता; इसीलिए अपने साथ-साथ समाज के लिए हमें ही संगठित होना होगा ।

कोरोना विषाणु जाति-धर्म नहीं देखता, फिर टीकाकरण में धर्म के आधार पर भेदभाव क्यों ? – आनंद जाखोटिया, राज्यस्थान एवं मध्य प्रदेश राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति

१. कोरोना का विषाणु जाति-धर्म नहीं देखता, फिर टीकाकरण के लिए धर्म के आधार पर भेदभाव क्यों ?

२. देहली के मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा एक मुसलमान डॉक्टर की मृत्यु के उपरांत उनके घर जाकर १ करोड रुपए देते हैं, फिर ऐसा बलिदान करनेवाले सैकडों हिन्दू डॉक्टरों को ऐसा सम्मान क्यों नहीं दिया जाता ?

३. महामारी में यदि हिन्दुओं के साथ ऐसा अनुचित बर्ताव होता है, तो अन्य समय कैसा होता होगा ? इसीलिए हिन्दुओं को जागृत होना होगा एवं न्याय पाने के लिए हिन्दू राष्ट्र की मांग करनी होगी ।