फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु पर शोक मनाने वाले अन्य कैदियों के स्वास्थ्य पर कब ध्यान देंगे  ? -हिन्दू विधिज्ञ परिषद

मुंबई – फादर स्टेन स्वामी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के षड्यंत्र में सहभागी होने के आरोप में गिरफ्तार किया है । उन पर नक्सलवाद को सहायता करने एवं अवैध कृत्य करने के गंभीर आरोप प्रविष्ट किए गए थे । उनके निधन पर अनेक लोगों ने शोक व्यक्त किया है । कुछ वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा है । मूल रूप से, फादर स्टेन स्वामी को उचित चिकित्सा उपचार प्राप्त हो रहे थे । उसी के साथ उच्च न्यायालय ने उन्हें चर्च संचालित एक निजी चिकित्सालय में रखने की विशेष अनुमति भी दी थी । इतना सब होते हुए भी यदि उनके निधन के पश्चात राजनीति चल रही है, तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है । वास्तविक रूप से, कारागृह के अन्य बंदियों के स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण बात पर यह ध्यानाकर्षण करता है । फादर स्टेन स्वामी जैसे अन्य कितने बंदी हैं, जिनके प्रश्न की ओर ये तथाकथित आधुनिकतावादी, धर्मनिरपेक्षतावादी एवं नेता गण कितना ध्यान देते हैं ? आर्थर रोड कारागृह में नालासोपारा प्रकरण में बंद आरोपी सुधन्वा गोंधलेकर एवं गणेश मिस्किन को उपचार मिलें इसके लिए आवेदन करने के पश्चात भी उन पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता है ? ऐसे प्रकरणों में तथाकथित आधुनिकतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष चर्च चुप क्यों रहते हैं ? इन बंदियों को भी फादर स्टेन स्वामी के समान उपचार प्राप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए, ऐसी मांग हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने एक प्रेस विज्ञप्ति द्वारा की है ।

अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर

अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने इस प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा है कि,

१. आर्थर रोड कारागृह में नालासोपारा प्रकरण के आरोपी सुधन्वा गोंधलेकर के दोनों बाजू की दाढें सड गई हैं एवं उन्हें उपचार भी प्राप्त नहीं हो रहे हैं । वे खाना भी नहीं खा सकते हैं, ऐसी उनकी गंभीर स्थिति विगत २ माह (महीने) से है । दूसरी ओर, एक अन्य आरोपी गणेश मिस्किन ‘वैरिकोज वेन्स’ से पीडित है । उन्हें भी पूर्ण उपचार नहीं प्राप्त हो रहे हैं । न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करने के उपरांत अभी तक उन्हें उपचार प्राप्त नहीं हुए हैं । क्या फादर स्टेन की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने वाले ऐसे बंदियों की समस्याओं के समाधान के लिए आगे आएंगे ? क्या यह केवल मृत्यु पर राजनीति है ? वास्तव में यह व्यवस्था कब जागृत होगी एवं समान न्याय करेगी ?

२. बंदियों को उचित उपचार मिलना चाहिए एवं उनके प्रकरणों का शीघ्रता से निस्तारण किया जाना चाहिए । विगत ६ वर्षों से दाभोलकर हत्याकांड प्रकरण में कारागृह में बंद निरपराध डॉ. वीरेंद्रसिंह तावडे का दुख फादर स्टेन स्वामी के दुख से कम नहीं है । हमारी भावना है कि, इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए ।