कोरोना पीडित शवों को कंधा देने के लिए २ सहस्त्र रुपए, जबकि परिजनों को अंतिम मुखदर्शन कराने के लिए १ सहस्त्र रुपए ऐंठे जाते हैं !
इससे पता चलता है कि, देश में भ्रष्टाचार की जडें कितनी गहरी हैं !
क्या ऐसे असंवेदनशील लोग, जो मृतकों के सिर पर से मक्खन खाते हैं, उन्हें ‘मानव’ कहा जा सकता है ?
जब यह खुले तौर पर चल रहा है, तो क्या चिकित्सालय एवं जनपद प्रशासन सो रहे हैं ? संबंधित कर्मचारियों के साथ उत्तरदायी प्रशासनिक अधिकारियों को भी निलंबित किया जाना चाहिए !
कानपुर (उत्तर प्रदेश) – यह बात सामने आई है कि, यहां के हैलट अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा लोगों की असहायता का अनावश्यक लाभ लिया जा रहा है । इस चिकित्सालय के कर्मचारियों द्वारा एक कोरोना रोगी की मृत्यु के उपरांत, उसे कंधा देने के लिए ४ कर्मचारियों द्वारा २ सहस्त्र रुपये ऐंठे जा रहे हैं । परिजनों को मुखदर्शन कराने के लिए १ सहस्र रुपये ऐंठे जा रहे हैं । यह राशि कोरोना बाधित मृतक के परिजनों के जीवन स्तर के आधार पर न्यून या अधिक की जाती है ।
१. मृतक के शरीर को एम्बुलेंस तक ले जाने के लिए रोगी के परिजनों को प्रति कर्मचारी ५०० रुपये देने के लिए कहा जाता है ।
२. अनेक शवों से भरी ऐम्ब्युलन्स में, उनसे संबंधित मृतदेह ऊपर रखने के लिए मृतक के परिजनों से अलग धनराशि की वसूली की जाती है ।
३. भुगतान करने वालों को मृत शरीर पर माला एवं फूल चढाने की भी अनुमति है । इतना ही नहीं, शरीर को छूने तक की अनुमति है, साथ ही छायाचित्र भी निकाला दिया जाता है ।
४. इस प्रकार ४-५ कर्मचारी प्रतिदिन ३० से ४० सहस्त्र रुपये अर्जित करते हैं । इसके संदर्भ में पूछे जाने पर, वे निर्लज्जता से उत्तर देते हैं, “हमें इतने भी पैसे नहीं मिलते कि हम अपने प्राण संकट में डालें ।”
५. यदि कोई परिजन नियमों पर उंगली रखता है या कर्मचारियों को भुगतान करना अस्वीकार करता है, तो उसे कोरोना के नियम बताकर मृतदेह से दूर रखा जाता है ।