बेंगलुरु में कोरोना संक्रमितों के शवों का दाह संस्कार करने के लिए अवैध रूप से ३५,००० से ४०,००० रुपये लिए जा रहे हैं !

यह एक लज्जास्पद घटना है, जिससे पता चलता है कि भारतीयों की नैतिकता कितनी गिर गई है ! उन्हें गिरफ्तार कर आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए !

प्रतिकात्मक चित्र

बेंगलुरू : यहां एक निजी अस्पताल में निधन होने वाले कोरोना संक्रमित रोगियों के शव उनके संबंधियों को नहीं सौंपे जा रहे हैं, तथा बेंगलुरु नगर निगम द्वारा स्थापित एक इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में एम्बुलेंस द्वारा लेजाकर उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है । पिछले सप्ताह से कोरोना से मृत्यु के आंकडे में वृद्धि हुई है । इसलिए, पिछले २ दिनों से शमशान के सामने शव-वाहिनियों की बडी-बडी कतारें लग रहीं हैं । इस परिस्थिति का दुरुपयोग करते हुए, निजी एंबुलेंस और नगर पालिका के कुछ कर्मचारी, तत्काल दाह संस्कार के नाम पर, लोगों से ३५,००० से ४०,००० रुपये ले रहे हैं । यदि पैसे का भुगतान नहीं किया जाता है, तो परिस्थिति यह है कि अंतिम संस्कार के लिए एक दिन प्रतीक्षा करनी पडती है । नागरिकों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है ।
सोमनहल्ली में मृतक के संबंधियों ने कहा कि, ‘अंतिम संस्कार के नाम पर लूट हो रही है । शव-वाहिनी के लिए १३,००० रुपये, पूजा के नाम पर १०,००० रुपये, इलेक्ट्रिक शवदाह के लिए ६,५०० रुपये । संबंधी के पी.पी.ई. किट के लिए १,००० रुपये और कर्मचारी के लिए ५,००० रुपये का पैकेज तय किया गया है । मैंने ५०० रुपये कम दिए, इस कारण मुझे पीडा दी गई । मैंने ऋण लिया और अंतिम संस्कार किया । पूजा के दौरान एक भी फूल या धूप नहीं था, लेकिन १०,००० रुपये लिए गए थे । यहां मृतकों के सिर पर लगा मक्खन खाना जारी है ।’

कठोर कार्रवाई करेंगे ! – नगर निगम

नगर स्वास्थ्य सचिव डॉ. के. सुधाकर ने कहा कि, ‘कोरोना जैसी स्थिति में मृतक के संबंधियों को लूटना सहन नहीं किया जाएगा । यह देखा गया है कि, निजी एंबुलेंस वाले शवों को लाने के लिए अवैध रूप से धन एकत्रित कर रहे हैं । इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी ।’ (यद्यपि, खुलेआम ऐसा हो रहा है, फिर भी नगर निगम के अधिकारियों को यह कैसे नहीं दिखाई देता ; या वे भी इसमें सम्मिलित हैं ? – संपादक)