त्रावणकोर देवस्वम् समिति की ओर से मंदिरों की भूमि में रा.स्व. संघ की ओर से दिए जा रहे प्रशिक्षण पर लगाई गई रोक !

हिन्दुओं के मंदिरों में हिन्दू संगठन को हिन्दुओं को प्रशिक्षण देने से रोकनेवाली त्रावणकोर देवस्वम् समिति हिन्दुओं की है अथवा अन्य पंथियों की ? इस समिति के निर्णय को देखा जाए, तो मंदिरों का व्यवस्थापन भक्तों को नियंत्रण में देना कितना आवश्यक है, यह दिखाई देता है ! केरल में हो रही इस प्रकार की हिन्दूविरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए अब हिन्दू संगठन बनाना अनिवार्य हों गया है !

प्रातिनिधिक छायाचित्र

कोची (केरळ) – त्रावणकोर देवस्वम् समिति के प्रशासन के अंतर्गत कार्यरत १ सहस्र २४२ हिन्दू मंदिरों के परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं को अपना कार्य चलाने के लिए, साथ ही वहां शारीरिक प्रशिक्षण अथवा सामूहिक व्यायाम सिखाने पर प्रतिबंध लगाया गया है । समिति की ओर से इस प्रकार की अनुमति देनेवाले अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी गई है ।

१. ३० मार्च को देवस्वम् आयुक्त द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि, कुछ अधिकारी मंदिरों के परिसर में इस प्रकार के अवैध कार्य करने की अनुमति दे रही हैं, जो अत्यंत गंभीर बात है । (केरल में हिन्दुओं पर बडी मात्रा में अत्याचार हो रहे हैं, तो ऐसे में हिन्दुओं को शारीरिक प्रशिक्षण देने का प्रबंध करना अवैध कार्य कैसे हो सकता है ? इससे समिति का हिन्दू द्वेष ही दिखाई देता है !- संपादक)

२. देवस्वम् समितीचे अध्यक्ष एन्. वासू ने कहा कि, कुछ वर्ष पहले विभाग के द्वारा मंदिरों की भूमि का उपयोग राजनीतिक कारणों के लिए न हो ; इसके लिए यह निर्णय लिया गया था । केवल रा.स्व. संघ को ही नहीं, अपितु किसी भी संगठन अथवा राजनीतिक दल को मंदिर परिसर का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी । संघ के विरुद्ध मिली शिकायत के आधार पर यह आदेश दिया गया है । (संघ के विरोध में हिन्दूद्वेषियों ने भले ही शिकायतें की हों ; परंतु इस विषय पर विवेक के आधार पर निर्णय लेने का दायित्व देवस्वम् समिति का है ; परंतु केरल में सर्वत्र ही वामपंथियों का प्रभाव होने के कारण ही वहां इस प्रकार की हिन्दूविरोधी गतिविधियां हो रही हैं ! – संपादक)

३. सभी अधिकारियों को इस प्रकार की घटनाओं को रोकने हेतु कदम उठाने की तथा मुख्य कार्यालय को उसका ब्यौरा देने के निर्देश दिए गए हैं । आदेश का पालन करने में असमर्थ अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी, यह भी बात इस आदेश में बताई गई है । (ऐसे आदेश निकालने के स्थान पर राज्य के मंदिरों में धार्मिक परंपराओं का पालन कैसे होगा, इसके लिए समिति ने अपनी शक्ति का उपयोग किया होता, तो हिन्दुओं के साथ-साथ विभाग का भी भला होता ! – संपादक)