साहस हो, तो भारत में नहीं; पाकिस्तान में खलिस्तान बनाओ ! – पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, राष्ट्रवादी विचारक

 

(बाएं से) पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ को सनातन प्रभात का हलाल विशेषांक भेंट देते हुए श्री. श्रीराम काणे

  जबलपूर (मध्‍यप्रदेश) – राजा रणजीत सिंह की राजधानी देहली नहीं लाहौर थी । इसलिए खलिस्‍तानवादियों को भारत में नहीं, अपितु पाकिस्‍तान में खलिस्‍तान बनना चाहिए, राष्‍ट्रवादी विचारक श्री. पुष्‍पेंद्र कुलश्रेष्‍ठ ने ऐसा प्रतिपादन किया । हिन्द़ू सेवा परिषद द्वारा १५ फरवरी को श्री सरस्वतीदेवी का पूजन तथा व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया था । इस कार्यक्रम को कर्नल आर.एस.एन. सिंह तथा हिन्दू जनजागृति समिति के मध्यप्‍रदेश समन्वयक श्री. श्रीराम काणेे ने भी संबोधित किया । हिन्दू सेवा परिषद के प्रदेशाध्यक्‍ष श्री. अतुल जैसवानी ने सभी का स्वागत किया, सूत्रसंचालन श्री. अर्पित तिवारी तथा आभार प्रदर्शन शहराध्यक्ष श्री. धीरज ज्ञानचंदानी ने किया । कार्यक्रम के दुसरे दिन पत्रकार वार्ता के उपरांत श्री. श्रीराम काणे ने श्री. कुलश्रेष्ठ को हिन्दी ‘पाक्षिक सनातन प्रभात’ का हलाल अर्थव्यवस्‍था का बहिष्कार विषयक विशेषांक भेंट दिया ।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस एवं लालबहादुर शास्‍त्री को किसने मारा ?

     श्री. कुलश्रेष्‍ठ ने आगे कहा, ‘‘कटप्‍पा ने बाहुबली को क्‍यों मारा ?’, यह आज की युवापीढी की चर्चा का विषय रहता है । उसकी अपेक्षा उन्हें ‘‘नेताजी सुभाषचंद्र बोस को किसने मारा ?’, लालबहादुर शास्त्‍री को किसने मारा ?’ चंद्रशेखर आजाद की गुप्त जानकारी किसने दी ?, इसकी चर्चा करनी चाहिए ।’’

देश कभी भी २६ जनवरी की हिंसा को क्षमा नहीं करेगा ! – कर्नल आर.एस.एन. सिंह

     २६ जनवरी को देहली में हिंसा मचाकर भारत माता की प्रतिष्‍ठा पर संकट निर्माण किया गया । जिन्‍होंने यह दुष्‍कृत्‍य किया, उन्‍हें देश कभी भी क्षमा नहीं करेगा ।

रामराज्‍य स्‍थापित करने के लिए पुरुषार्थ करना है ! – श्रीराम काणे, हिन्‍दू जनजागृति समिति

     हिन्‍दुआें की जागृति और बलिदान के कारण आज अयोध्या में भव्य श्रीराममंदिर बन रहा है । अब हमें रामराज्य स्थापना करने के लिए पुरुषार्थ करना है । १०० कोटि हिन्दुआें का एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ निर्माण हो रहा है । इसलिए हमें केवल जन्म से नहीं, अपितु कर्म से भी हिन्दू बनना होगा । अत: सुबह तिलक लगाकर ही घर से बाहर निकलें, दूरभाष पर ‘हैलो’ न कहकर ‘जय श्रीराम’ अथवा ‘जय श्रीकृष्ण’ कहें, उद्घाटन फीता काटकर नहीं, अपितु नारियल फोडकर करें ।