Jamiat Condemn Pahalgam Attack : (और इनकी सुनिए…) ‘इस्लाम में आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है !’ – जमीयत उलेमा-ए-हिन्द

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के दोनों गुटों ने पहलगाम में हुए आक्रमण की निंदा की

मौलाना महमूद मदनी और मौलाना अरशद मदनी

सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) – मुस्लिम धार्मिक संगठन ‘जमीयत उलेमा-ए-हिन्द’ के दोनों गुटों ने पहलगाम में हुए जिहादी आतंकवादी आक्रमण की निंदा की है । जमीयत अध्यक्ष मौलाना (इस्लामिक विद्वान) अरशद मदनी ने कहा कि निर्दोष लोगों की हत्या इन्सान नहीं अपितु जानवर करते हैं । इस्लाम में आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है ।
जमीयत के दूसरे गुट के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने इस घटना को ‘अमानवीय कृत्य’ बताया । उन्होंने कहा कि इस घटना को किसी धर्म से नहीं जोडा जा सकता और जो लोग इसे इस्लाम से जोडने का प्रयास रहे हैं, वे इसकी सच्ची शिक्षाओं से अनभिज्ञ हैं । (मदनी को अब भारतीयों को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि इस्लाम की सच्ची शिक्षाएं क्या हैं, तथा यह भी बताना चाहिए कि जिहादी आतंकवादियों को कौन सी इस्लामी शिक्षाएं कहां से और क्यों दी जा रही हैं ! – संपादक)

‘दारुल उलूम देवबंद’ मदरसे का भी विरोध

सहारनपुर स्थित प्रमुख इस्लामी शिक्षा संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने इस आक्रमण को ‘मानवता के विरुद्ध कृत्य’ बताया है । दारुल उलूम देवबंद के ‘मोहतमिम’ (प्रबंधक) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी (शरिया कानून के अनुसार निर्णय लेने वाले न्यायाधीश) ने आक्रमण के लिए उत्तरदायी लोगों के विरुद्ध कडी कार्रवाई की मांग की । उन्होंने कहा कि यह आक्रमण देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर संकट है । हम मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं । केंद्र सरकार को इस प्रकरण को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं पुनः न हों; इसलिए दोषियों के विरुद्ध कडी कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है । (यदि केंद्र सरकार ऐसी कार्रवाई आरंभ करती है, तो यही मुसलमान उनके लिए रोना-धोना आरंभ कर देंगे ! संसद आक्रमण के दोषी मोहम्मद अफजल के साथ-साथ १९९३ के मुंबई आक्रमण के आतंकवादी याकूब मेमन को भी फांसी न हो; इसलिए यही मुसलमान आंदोलन कर रहे थे, जिससे सर्वोच्च न्यायालय को आधी रात को सुनवाई करनी पडी, यह हमें नहीं भूलना चाहिए ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका

  • जमीयत को पिछले ३५ वर्षों से इसका स्मरण नहीं हुआ; फिर भी , अब जबकि देश में हिन्दू मुसलमानों के विरुद्ध अत्याधिक आक्रोशित हैं तथा पाकिस्तान के विनाश तथा देश में जिहादियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करने लगे हैं, तो जमीयत को यह स्मरण हुआ है । इस बात पर विचार करते हुए हिन्दुओं को ऐसे पाखंडपूर्ण वक्तव्यों की अनदेखी करना चाहिए !
  • इस्लाम कहता है, ‘काफिरों को मारो, मूर्तिपूजकों को मारो’, जमीयत इस पर क्यों नहीं बोलती ?
  • क्या मस्जिदों से हिन्दू धार्मिक शोभायात्राओं पर आक्रमणों का इस्लाम में कोई स्थान है ? यहां ऐसा प्रश्न उठता है ! हिन्दुओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जमीयत ने इस विषय पर कभी कुछ नहीं कहा !