प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष २००२ के गुजरात दंगों पर टिप्पणी की !

नई दिल्ली – ‘यह धारणा अनुचित है कि गुजरात में वर्ष २००२ में हुए दंगे अब तक के सबसे बडे दंगे थे । वास्तव में गुजरात में वर्ष २००२ से पूर्व भी धार्मिक दंगे हुए थे । फिर भी, वर्ष २००२ की भांति, यह कभी भी अंतर्राष्ट्रीय समाचार नहीं बन सका । फिर हमारी सरकार ने स्थिरता लाने का प्रयास किया; परंतु फिर भी, राजनीतिक विपक्ष और मीडिया के कुछ वर्गों ने हमारी छवि धुमिल बनाने का प्रयास किया । झूठ फैलाने का प्रयास किया गया’; प्रधानमंत्री मोदी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘परंतु अंतत: न्याय की विजय हुई और न्यायालय ने मुझे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया ।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अमेरिकी लेक्स फ्रीडमैन का ‘पॉडकास्ट’ (विभिन्न विषयों पर रिकॉर्ड की गई बातचीत) प्रसारित किया गया है ।
एक पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात दंगों के संदर्भ में पूछे गए एक प्रश्न का उपरोक्त उत्तर दिया । प्रधानमंत्री मोदी ने इस पॉडकास्ट में अनुमान से ३ घंटे तक वार्तालाप किया । इस साक्षात्कार के अंतर्गत प्रधानमंत्री ने अपनी जीवन यात्रा सहित देश के विभिन्न सूत्रों पर टिप्पणी की । उन्होंने भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के मध्य राजनीतिक संबंधों पर भी वक्तव्य किया । ‘मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कैसे जुडे’, ‘संघ का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पडा ?’ प्रधानमंत्री ने इस साक्षात्कार में ऐसे कई प्रश्नों के उत्तर दिए हैं ।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘जिन्होंने दंगों को लेकर मेरी आलोचना की, उन्हें वर्ष २००२ से पूर्व के गुजरात के हिंसा के इतिहास की चिंता नहीं थी । दंगों के पश्चात हुए परिवर्तनों में भी उनकी कोई रुचि नहीं थी । वे केवल ऐसी कहानी प्रमाणित करना चाहते थे कि जो उनकी नीति के अनुकूल हो । सच तो यह है कि दशकों से राजनीति वोट के लिए कुछ खास समूहों को प्रसन्न करने का प्रयास किया गया है, तथापि हमने इसे पूर्णतः परिवर्तित कर दिया । हमने महत्वाकांक्षी राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया । वर्ष २००२ के पश्चात गुजरात में एक भी बडा दंगा नहीं हुआ है । अब राज्य में स्थायी शांति है ।’
आलोचक हमेशा आस-पास रहने चाहिए !
आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है । हमारे शास्त्र कहते हैं, ‘अपने आलोचकों को सदैव अपने निकट रखो; क्योंकि वे आपको सुधारने में सहायता करते हैं ।’ वास्तविक आलोचना अनुसंधान और विश्लेषण पर आधारित होती है । दुर्भाग्य से, आज का मीडिया और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अनेक बार ‘शॉर्टकट’ अपनाते हैं । विचारशील आलोचना की अपेक्षा, वे निराधार आरोप लगाते हैं; परंतु अब आप दंगों के विषय में जो संदर्भ दे रहे हैं, वे आरोप हैं, आलोचना नहीं’, ऐसा भी मोदी ने इस समय कहा।