‘महाराष्ट्र में ८० लाख, जबकि देश में १० करोड बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठिए हैं। उन्होंने सडकों पर किए जानेवाले सभी व्यवसायों पर अपना नियंत्रण प्राप्त किया है। अनेक महत्वपूर्ण स्थानों पर उनकी अवैध झोपडियां हैं। रेल स्थानक, हवाई अड्डे तथा महामार्गाें के प्रवेशस्थान आदि को इन झोपडियों ने घेर लिया है। इन लोगों ने रेल मार्ग पर अनेक दुर्घटनाएं कराई हैं तथा वे कभी भी महामार्गाें को बंद कर देंगे, इतनी उनकी शक्ति है।
शहरों तथा हिन्दू बस्तियों में इनकी झोपडियां बढ रही हैं। एक बार संख्या बढने से पहले मस्जिदें बनती हैं, उसके पश्चात धीरे-धीरे सडक पर नमाज पढना आरंभ होता है तथा उसके पश्चात सडक पर ही बकरे काटना आरंभ होता है। इसके परिणामस्वरूप अनेक स्थानों पर जैसे कुर्ला, मालाड आदि क्षेत्रों में हिन्दू घर-बार छोडकर चले जाते हैं, वहां की भूमि के भाव गिर जाते हैं तथा उस क्षेत्र में हिन्दू अल्पसंख्यक बन जाते हैं। इससे मुंबई में ही अनेक स्थानों पर छोटे पाकिस्तान बन गए हैं तथा उससे आनेवाले कुछ वर्षाें में पूरी मुंबई में ही भूमि के मूल्य बडे स्तर पर गिरकर उससे हिन्दुओं की बडे स्तर पर आर्थिक हानि होने का संकट बढ गया है।
वर्तमान में इन घुसपैठियों ने मॉल से लेकर (व्यापारिक संकुल), सडकों पर किए जानेवाले सभी व्यवसायों से हिन्दुओं को बाहर निकाल दिया है। सब्जी एवं फल के व्यवसायों पर तो उनका ही पूरा वर्चस्व है। इन घुसपैठियों ने आम की बिक्री का व्यवसाय भी अपने हाथों में ले लिया है। आज हमारे घरों से संबंधित वातानुकूलक (एयर कंडीशनर) का सुधार, बिजली के काम, प्लंबर का काम इत्यादि सभी क्षेत्रों में वे घुस चुके हैं। इसके कारण अब वे खुलेआम हमारे घरों में घुस रहे हैं तथा इसी से लव जिहाद हो रहे हैं।
इजरायल में जो नरसंहार हुआ है, उससे हमें सीख लेनी होगी। उनके घरों में काम करनेवाले लाखों फिलिस्तिनी लोगों ने ही आतंकियों को पूरी जानकारी दी तथा उसके कारण ही यह भयानक नरसंहार हुआ, इस सच्चाई को हमें कभी भूलना नहीं चाहिए। वर्तमान में मुंबई में असंख्य बांग्लादेशी मुसलमान महिला घुसपैठिए स्वयं को हिन्दू दिखाकर हिन्दुओं के घरों में काम कर रही हैं।
१. आर्थिक जिहाद
ऊपर बताए अनुसार व्यवसायों पर वर्चस्व स्थापित करना तथा भूमि के मूल्य गिराना आर्थिक जिहाद का भाग है । जिहाद का अर्थ है काफिरों को नष्ट करने हेतु इस्लाम का धर्मयुद्ध ! अतः काफिरों की अर्थनीति नष्ट करना आर्थिक जिहाद का मुख्य सूत्र है । ये लोग कभी भी सरकार को कर नहीं देते; परंतु मस्जिदों को उनकी आय का १० प्रतिशत अंश अर्थात जकात प्रामाणिकता के साथ देते हैं । इसके कारण मस्जिद में जो पैसा इकट्ठा होता है, उसका उपयोग इस्लाम के कार्याें के लिए किया जाता है । भारत एक ‘दार-उल-हर्ब’ अर्थात गैरमुसलमान देश है । ऐसे देश को ‘दार-उल-इस्लाम’ अर्थात इस्लामशासित प्रदेश बनाना कुरान की मुख्य आज्ञा है । उसके लिए पहले ऐसे देश को मुसलमान बहुसंख्यक देश बनाना पडता है तथा उसके अंतर्गत बाहर से घुसपैठियों को लाकर यहां बसाना उसका एक उपाय है । इन घुसपैठियों की सहायता के लिए जकात से मिलनेवाले धन का उपयोग किया जाता है । इन्हीं पैसों से उन्हें व्यवसाय चलाने के लिए सहायता दी जाती है । केवल इतना ही नहीं, अपितु व्यवसाय में स्थिर होने तक उनकी सहायता की जाती है । उनके प्रतियोगियों को व्यवसाय से बाहर निकालने हेतु अल्प भाव में माल की बिक्री करने हेतु भी आर्थिक सहायता की जाती है । जब ये लोग व्यवसाय में आते हैं, तब हिन्दू प्रतियोगियों को अपने व्यवसाय बंद करने पडते हैैंं । वर्तमान में महामार्ग पर स्थित हिन्दू होटल बंद हो रहे हैं तथा उसमें मुसलमान घुस रहे हैं । कुछ महिनों पश्चात व्यवसाय स्थिर होने पर ये पैसे मस्जिदों को वापस दिए जाते ही हैं; परंतु उसके अतिरिक्त वह व्यक्ति उसकी आय पर जकात भी देता है अर्थात हिन्दू ग्राहकों के बल पर मिलनेवाले पैसों से मस्जिदों की आय बढती जाती है तथा इस बढी हुई आय से नए घुसपैठियों को बसाने के लिए उनकी सहायता की जाती है । इस प्रकार यह चक्र चलता ही रहता है तथा जब तक हिन्दू व्यवसायों से संपूर्णरूप से बाहर नहीं कर दिए जाते तथा जब तक वे अल्पसंख्यक नहीं बन जाते; तब तक यह चक्र जारी ही रहेगा ।
२. श्रद्धा जिहाद
भले ही वर्तमान समय में महाराष्ट्र में गोहत्या बंदी हो, तब भी वह खुलेआम हो रही है । इस व्यवसाय में मुसलमान घुसपैठिए बडी संख्या में हैं । मूलत: वे यहां अवैध रूप से रह रहे हैं; इसलिए वे किसी भी कानून को नहीं मानते । पुलिस द्वारा भले ही उनकी गोमांस ले जानेवाली गाडियां रोकी जाती हैं, परंतु वे पुलिसकर्मियों पर गाडी चढाने से भी पीछे नहीं हटते । इस गोमांस बिक्री के व्यवसाय से जुडा हुआ व्यवसाय है चर्बी का ! वस्तुतः यह चर्बी अनुपयुक्त होने से उसका बहुत कुछ मूल्य नहीं है; परंतु वर्तमान में मिठाईयों तथा घी में उसकी मिलावट की जाती है तथा मंदिरों के बाहर पूजासामग्री तथा मिठाई की दुकानें लगाए बैठे मुसलमान विक्रेता यही मिठाई हिन्दू श्रद्धालुओं को बेचते हैं । हिन्दू श्रद्धालु यही सामग्री भगवान को अर्पण करता है । वर्तमान में मंदिर के सामने बैठे अधिकतर विक्रेता मुसलमान हैं, यह वास्तविकता है । वस्तुत: मुसलमान व्यक्ति उनके पंथ के अनुसार यह व्यवसाय नहीं कर सकते अथवा पूजासामग्री बेच नहीं सकते । कुरान के अनुसार ऐसा करना ‘कुफ्र’ है । ‘कुफ्र का अर्थ वह पाप, जिसके लिए क्षमा नहीं है’; परंतु ये लोग खुलेआम यह पाप करते हैं तथा उनके मौलवी (इस्लामी धार्मिक नेता) उन्हें यह पाप करने देते हैं ।
३. क्यों एवं कैसे ?

यह बहुत ही सरल है । इस सामग्री में यदि गोमांस मिलाया जाए अथवा उस पर थूककर उसे अपवित्र किया जाए, तो ऐसी अपवित्र सामग्री बेचने के लिए उनके पंथ का कोई विरोध नहीं है । इस आशय की ‘हदीसें’ तथा फतवे हैं । मूलतः हिन्दुओं के देवी-देवता उनके लिए शैतान हैं तथा इस्लाम पंथ के अनुसार शैतान पर थूकने से शैतान भाग जाता है । अतः इस प्रकार से थूक मारी हुई सामग्री मंदिर में पहुंचने से वहां का शैतान अर्थात हिन्दू देवता भाग जाएंगे । अतः ऐसा करना धर्मकार्य सिद्ध होगा । तो यह केवल आर्थिक जिहाद नहीं है, अपितु हमारी आस्थाओं को नष्ट करने का षड्यंत्र है; क्योंकि इस प्रकार से अपवित्र सामग्री का हमने देवतापूजन में उपयोग किया, तो हिन्दुओं की पूजा कभी सफल नहीं होगी । हम सूंघा हुआ फूल भी कभी भगवान को नहीं चढाते, तो इस प्रकार से चर्बी-थूक से युक्त भ्रष्ट पूजासामग्री का हमने देवतापूजन में उपयोग किया, तो क्या हमें पूजा का फल मिलेगा ? कभी नहीं ! ऐसी पूजा सफल तो होगी ही नहीं; परंतु उससे देवता का प्रकोप होने की संभावना ही अधिक है । अतः अपने धर्म को भ्रष्ट होने से बचाना है, तो हिन्दू विक्रेता से ही खरीदारी करें । हिन्दू विक्रेता पेढे में मैदे की मिलावट करेगा; परंतु वह कभी भी उसमें गाय की चर्बी नहीं मिलाएगा अथवा फल-फूल पर नहीं थूकेगा !
४. स्वास्थ्य जिहाद
भले ही ऐसा हो; परंतु वर्तमान में ये बांग्लादेशी बहुत सस्ते मूल्य में हमें सब्जियां तथा फल बेच रहे हैं । दिखने में ये सब्जियां तथा फल बहुत ताजे दिखाई देते हैं । इस अल्प मूल्य के लालच में हम उनसे खरीदारी करते हैं तथा यही हमारी हानि होती है । हमने अपने हाथों से ही हिन्दुओं को इस व्यवसाय से बाहर निकाल ही दिया है; परंतु ऐसा कर हमने अपने स्वास्थ्य को भी संकट में डाल दिया है । इन सभी सब्जियों पर प्राणघातक रसायन छिडके जाते हैं तथा उससे यह विष हमारे शरीर में घुस जाता है । इसलिए वर्तमान में युवक-युवतियां असंख्य रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं । युवा वर्ग अल्पायु में ही हृदय की बीमारियों तथा कैंसर आदि से ग्रस्त हो रहे हैं । केवल इतना ही नहीं, अपितु आज की पीढी इन रसायनों के कारण संतानहीनता की शिकार हो रही है । संतान की प्राप्ति न होने से लाखों परिवार कृत्रित गर्भधारणा का खर्चीला उपाय अपना रहे हैं तथा यह सब केवल फल तथा सब्जियां सस्ती मिलती हैं; इसलिए उन्हें खरीदने के कारण ही ऐसा हो रहा है ! ये वस्तुएं हमारे लिए विष हैं, यह पता न होने के कारण ! वर्तमान में मुंबई में हिन्दुओं की प्रजनन दर एक सहस्र के पीछे केवल १.१ तथा बांग्लादेशी मुसलमानों में यही प्रजनन दर ४ से अधिक है ।
५. घुसपैठ के कारण उत्पन्न संकट की गंभीरता !
वर्तमान में इन घुसपैठियों ने सडकों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया है । आज हम उन्हें उत्तर नहीं दे सकते, इस वास्तविकता को हमें स्वीकार करना ही होगा । भारतीय नागरिकता पंजीकरण की प्रक्रिया अभी आरंभ नहीं हुई है तथा आनेवाले समय में भी उसके शीघ्र आरंभ होने की संभावना भी नहीं है । अतः फर्जी जन्म-प्रमाणपत्र प्राप्त कर आधार कार्ड बनाया जाता है तथा उससे ये बांग्लादेशी वैध भारतीय नागरिक बन जाते हैं, वे सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं तथा मतदाता बनकर हमारे चुनावों को भी प्रभावित करते हैं । वर्ष १९४७ से एक भी घुसपैठिए को इस देश से बाहर नहीं निकाला गया, यह वास्तविकता है और इसके कारण ही उस समय की ८ प्रतिशत मुसलमान जनसंख्या वर्तमान में २५ प्रतिशत तक पहुंच गई है । वर्तमान में भारत में रहनेवाले १००० मुसलमानों में २५६ मुसलमान घुसपैठिए पाए गए हैं और यह सब, हम उनके साथ जो आर्थिक लेन-देन कर रहे हैं उसके कारण ही संभव हुआ ! हमने यदि इसे रोका, तो ही ये घुसपैठिए वापस जाएंगे ।
६. तो हमें निश्चित रूप से क्या करना चाहिए ?
इसके लिए हम एक उपाय कर सकते हैं कि मेरा पैसा किसकी जेब में जा रहा है, यह हम सुनिश्चित कर सकते हैं; परंतु इन्हें पहचानें कैसे, यह मुख्य समस्या है । ये लोग अपनी दुकानों में हिन्दू देवताओं के चित्र लगाते हैं तथा उनके व्यवसाय हिन्दू नामों से होते हैं । इन लोगों की दुकानों के नाम हिन्दू देवताओं के नाम से होते हैं, उदा. गणेश पूजा भंडार, दत्तगुरु वडापाव, ओम् चिकन सेंटर आदि नामों से वे व्यवसाय कर रहे हैं । तो इनकी पहचान कैसे करें ? इस पर एक ही उपाय है ‘ओम् प्रमाणपत्र’ !

६ अ. ‘ओम् प्रमाणपत्र’ क्या है ? : ‘ओम् प्रतिष्ठान’ के नाम से आरंभ हुए नए उपक्रम के अंतर्गत यह प्रमाणपत्र तैयार किया गया है तथा उस पर ‘क्यू.आर. कोड’ होता है । इसलिए इस प्रमाणपत्र की नकल करना असंभव है । इस कोड को ‘स्कैन’ करने से हमें दुकानदार का नाम तथा पता दिखाई देता है । यदि यह प्रमाणपत्र नकली हो, तो तुरंत समझ में आता है तथा उस पर कार्रवाई की जा सकती है; इसलिए इस प्रमाणपत्र का प्रसार करना तथा यह प्रमाणपत्र प्राप्त दुकान से ही खरीदारी करना इसका एकमात्र उपाय है । ‘ओम् प्रमाणपत्र’ केवल दुकानों के लिए नहीं है, अपितु सभी प्रकार के व्यवसायों के लिए है, जैसे उत्पादक, कारखाने, थोक व्यापारी, वितरक, दुकानदार, विभिन्न सेवाएं प्रदान करनेवाले, जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, अधिवक्ता, लेखापाल, सभी प्रकार की मरम्मत करनेवाले, सडक पर व्यवसाय करनेवाले व्यापारी, ऑनलाइन व्यावसायी आदि । संक्षेप में कहा जाए, तो हिन्दू व्यवसायी !
आपको यह प्रमाणपत्र ऑनलाइन पद्धति से अपनी जानकारी पंजीकृत करने पर मिलेगा । यह प्रमाणपत्र प्राप्त करने की पद्धतियां –
१. जिन हिन्दू संगठनों को इस माध्यम से कार्य करना है, उन्हें प्रशासक के रूप में अधिकार दिए जाएंगे । वे स्वयंसेवियों को नियुक्त करेंगे । जो दुकानदार तथा व्यवसायी ‘ऑनलाइन’ पंजीकरण करेंगे, उन्हें तुरंत ही यह प्रमाणपत्र मिलेगा, जिसे अपने प्रतिष्ठानों में उन्हें लगाना है ।
२. जिन व्यक्तियों को इस कार्य में सम्मिलित होना है, उन्हें स्वयंसेवक के रूप में अधिकार दिए जाएंगे अथवा जिन प्रतिष्ठानों को यह प्रमाणपत्र चाहिए, वे ऑनलाइन आवेदन करें ।
लेखक : श्री. रणजीत सावरकर, वीर सावरकर के पौत्र तथा कार्याध्यक्ष, सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, मुंबई
(साभार : साप्ताहिक ‘हिन्दुस्थान पोस्ट’ का दीपावली विशेषांक)
आप चाहते हैं कि भारत में हिन्दुओं पर बांग्लादेशी हिन्दुओं के अत्याचार न हों, तो…
यह प्रमाणपत्र ‘हिन्दुओं से लेकर हिन्दुओं तक’ के लिए आर्थिक ब्रह्मास्त्र है, जो हमें बचा पाएगा। यह कार्य कठिन है; परंतु हमारी आस्था की रक्षा के लिए तथा अपने बच्चों का भविष्य बचाने के लिए यदि हम एकत्रित होते हैं; तो यह कार्य असंभव नहीं है। भविष्य में यदि बांग्लादेशी घुसपैठिए बहुसंख्यक हुए तथा उनकी प्रजनन दर को देखते हुए आनेवाले १०-२० वर्षाें में ही वे बहुसंख्यक बन जाएंगे। उसके उपरांत वे क्या करेंगे, इसे वर्तमान में बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है; वह हम देख ही रहे हैं। आज जो घटनाएं बंगाल एवं केरल में हो रही हैं, वो भविष्य में यहां भी होंगी तथा यदि उन्हें रोकना है तथा अपनी श्रद्धा को भ्रष्ट होने से बचाना है, तो इसके आगे जिनके पास ‘ओम प्रमाणपत्र’ है, उनसे ही आप खरीदारी कीजिए।’
– श्री. रणजीत सावरकर