‘कॉग्निटिव वॉरफेयर’ का उपयोग कर ताइवान का चीन में विलय !

चीन द्वारा जानकारी युद्ध के माध्यम से की जानेवाली लडाई में भारतीयों का सतर्क एवं तत्पर रहना आवश्यक है !

(टिप्पणी : ‘कॉग्निटिव वॉरफेयर’ अर्थात युद्ध में जानकारी, विचारों एवं भावनाओं का उपयोग कर समाज के लोगों के विश्वास, निर्णय तथा कृति को प्रभावित करने का प्रयास करना !)

अमेरिका तथा उसके मित्र राष्ट्र ताइवान की लडने की क्षमता बढा रहे हैं । यह क्षमता अब इतनी बढी है कि चीन के द्वारा समुद्र से ताइवान पर आक्रमण कर उसपर नियंत्रण स्थापित करने की संभावना अल्प हो रही है । चीन ने यदि ताइवान पर आक्रमण किया, तो इस युद्ध में उन्हें बहुत रक्तपात सहना पडेगा, जिसके लिए चीनी जनता कभी भी तैयार नहीं होगी; इसलिए अब चीन भिन्न-भिन्न प्रकार की युद्धनीतियां अपनाकर ताइवान पर विजय प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है । इन पद्धतियों में से एक पद्धति है ‘कॉग्निटिव वॉरफेयर !’ वर्तमान के युद्ध क्षेत्र में हथियारों की अपेक्षा मन पर आक्रमण करनेवाले हथियार अधिक प्रभावी सिद्ध हो रहे हैं । इस युद्ध में जानकारी, विचारों एवं भावनाओं का उपयोग कर समाज के लोगों के विश्वास, निर्णय तथा कृतियों को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है । जिसमें ‘एआई’ (‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता) जैसी प्रौद्योगिकी का उपयोग कर शत्रु राष्ट्र के समाजमानस पर इस प्रकार प्रभाव डाला जाए, जिससे वे ऐसे निर्णय लेंगे, जो चीन के पक्ष में होंगे । अर्थात ही बिना युद्ध किए ताइवान की जनता के मन पर विजय प्राप्त कर ताइवान का चीन में विलय करना !

१. ‘कॉग्निटिव वॉरफेयर’

चीन ‘एआई’ का उपयोग कर वर्ष २०३० तक विश्व में महाशक्ति बनने का प्रयास कर रहा है । इस ‘कॉग्निटिव’ युद्ध में चीन उसकी सैनिकी (मिलिटरी) एवं नागरिकी (सिविल), इन दोनों शक्तियों का उपयोग कर यह लडाई जीतेगा । इसका उपयोग युद्धभूमि के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जाएगा, जिसमें ‘इंफर्मेशन प्रोसेसिंग’ (सूचना पर आधारित विभिन्न प्रक्रिया), ‘अनमैंड वेपन्स’ (मानवरहित शस्त्र) तथा ‘डिसिजन मेकिंग क्षेत्र’ (निर्णय लेने का क्षेत्र) होगा । ‘कॉग्निटिव वॉरफेयर’ का उपयोग कर चीन आधुनिक पद्धति की लडाई लडेगा ।

‘कॉग्निटिव वॉरफेयर’ एक महत्त्वपूर्ण युद्धपद्धति के रूप में उभर रही है । चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ का उपयोग ‘लैंड वॉरफेयर’ (भूमि पर लडा जानेवाला युद्ध), ‘मेरीटाइम वॉरफेयर’ (समुद्री युद्ध), ‘साइबर वॉरफेयर’ (सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का युद्ध), ‘स्पेशल वॉरफेयर’ (विशेष युद्ध) जैसे साधनों का विभिन्न युद्धों में उपयोग करेगा ।

ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त)

२. भारी मात्रा में शत्रु राष्ट्रों की जानकारी इकट्ठा कर हथियार के रूप में उसका उपयोग करना

इस युद्ध को लडने के लिए चीन साम, दाम, दंड एवं भेद की नीति का उपयोग कर प्रचुर मात्रा में शत्रु राष्ट्रों की जानकारी, उनके नेतृत्व की व्यक्तिगत जानकारी, अन्य प्रकार की जानकारी इकट्ठा कर रहा है । उसके पश्चात इसका ‘डेटा माइनिंग’ (कच्ची जानकारी का विशेषतापूर्ण जानकारी में रूपांतरण करना) किया जाएगा तथा उसके पश्चात उसका विश्लेषण कर निश्चित रूप से युद्ध कैसे लडना है, यह सुनिश्चित किया जाएगा ।

चीन ने बडी मात्रा में अमेरिका का ‘डेटा’ इकट्ठा किया है । वर्ष २०१५ में अमेरिका को यह ज्ञात हुआ कि उसके सरकार के विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी चोरी हुई है तथा यह केवल एक बार ही नहीं, अपितु अनेक बार हुआ है । आनेवाले समय में चीन इस जानकारी को एक हथियार (weaponization of data) के रूप में उपयोग कर सकेगा ।

३. चीन भारत के विरुद्ध ‘कॉग्निटिव युद्ध’ का किस प्रकार उपयोग कर रहा है ?

चीन भारत के विरुद्ध ‘कॉग्निटिव युद्ध’ तंत्र का अत्यंत योजनाबद्ध पद्धति से उपयोग कर रहा है । इस तंत्र का उद्देश्य भारत सरकार तथा भारतीय जनता की मानसिकता में परिवर्तन लाना तथा उनमें भ्रम उत्पन्न करना है । चीन इस युद्धतंत्र में सूचना, प्रचार, मनोवैज्ञानिक तंत्रों तथा साइबर अभियानों का समावेश कर भारत की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है । चीन की इस ‘कॉग्निटिव युद्ध’ की नीतियों में अंतर्भूत कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु नीचे दिए हैं :

३ अ. सूचना का शस्त्रीकरण (Weaponization of Information) : चीन भारत के विरुद्ध सूचना युद्ध (Information Warfare) की नीति का उपयोग कर रहा है । भारत की जनता तक अपनी पहुंच बनाने के लिए सामाजिक माध्यमों का तथा ‘ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स’ का (जालस्थलों का) उपयोग किया जाता है । चीन भारतीय समाज में झूठी जानकारी, ‘प्रोपगंडा’ (प्रचार) तथा झूठे समाचार फैलाकर भारतीय समाज को विभाजित करने का प्रयास करता है । चीन जनमत में परिवर्तन लाकर देश के प्रति भारतीय समाज का विश्वास अल्प करने की नीति अपनाता है । कुछ दिन पूर्व भारत के विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक वक्तव्य देते हुए कहा था, ‘चीन भारत के लिए एक बडी समस्या है ।’ ९ सितंबर २०२४ को चीन के समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने इसपर संपादकीय लेख लिखते हुए कहा, ‘डॉ. जयशंकर की चीन के विरुद्ध की विदेशनीति भारत के लिए संकटकारी है । उससे भारत का राष्ट्रीय हित प्रभावित हंोगा । यह नीति अनेक भारतीयों को स्वीकार्य नहीं है, जो संपूर्ण रूप से असत्य है ।’ इसका अर्थ यही है कि ‘ग्लोबल टाइम्स’ भारत सरकार में मतभेद उत्पन्न करने का प्रयास कर रहा है ।

३ आ. साइबर आक्रमण तथा प्रौद्योगिकी चुराना : चीन साइबर आक्रमणों के माध्यम से भारत के सरकारी, सैनिकीय तथा आर्थिक संस्थाओं पर आक्रमण कर गुप्त जानकारी इकट्ठा कर रहा है । साइबर आक्रमणों के कारण भारत की सुरक्षा प्रभावित होती है तथा उससे उनकी निर्णयक्षमता पर प्रश्नचिन्ह उठता है । प्रौद्योगिकी चुराना ‘कॉग्निटिव युद्ध’ का एक महत्त्वपूर्ण अंग है, जिसके द्वारा चीन भारत की विकास की नीति को सीधे प्रभावित करता है ।

३ इ. मनोवैज्ञानिक अभियान (Psychological Operations) : चीन भारत की राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिरता को प्रभावित करने हेतु मनोवैज्ञानिक अभियान का उपयोग करता है । चीन का प्रचारतंत्र भारतीय समाज में वांशिक, धार्मिक तथा सामाजिक संघर्षाें को, जैसे कि माओवाद को गति दे रहा है । इस प्रकार से चीन भारत में आंतरिक संघर्ष तथा असंतोष फैलाने के लिए प्रयासरत है ।

३ ई. प्रभावशाली हथियार के रूप में संस्कृति का उपयोग : चीन ‘सॉफ्ट पॉवर’ नीति का उपयोग कर भारतीय विचारों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है । चीन उसके सांस्कृतिक संगठनों का (जैसे कि ‘कंफ्युशियस इंस्टिट्यूट’ – चीन में स्थित कंफ्युशियस धर्म का उपदेश देनेवाले संगठन) के माध्यम से भारत के शिक्षा संस्थानों तथा विचारधारा को प्रभावित करता है ।

३ उ. ‘प्रोपगंडा’ (प्रचार) तथा माध्यमों पर नियंत्रण : चीन स्वयं के प्रोपगंडा तंत्र का भारत के विरुद्ध उपयोग कर रहा है । चीन अपना राष्ट्रहित सुरक्षित रखने के लिए वैश्विक माध्यमों पर नियंत्रण स्थापित करता है तथा भारत के विरुद्ध अच्छी एवं प्रभावशाली कथा रखने का प्रयास करता है । माध्यमों में चीन का पक्ष अधिक सकारात्मक, जबकि भारत का पक्ष नकारात्मक दिखाया जाता है ।

३ ऊ. वैज्ञानिक सहयोग तथा सूचना की (डेटा की) चोरी : चीन भारत के वैज्ञानिक समुदाय से सहयोग बढाकर गुप्त जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है । इसमें शोधसंस्थाओं का गुप्त ‘डेटा’ चुराना, प्रौद्योगिकी हथियाना तथा भारत की नीतिगत परियोजनाओं को संकट में डालना आदि नीतियों का समावेश है ।

४. भारत को ‘कॉग्निटिव युद्ध’ के क्षेत्र में स्वयं की लडने की क्षमता को बढाने की आवश्यकता !

चीन की ‘कॉग्निटिव युद्ध’ नीति भारतीय संस्थाओं, समाज तथा निर्णयक्षमता पर किया गया एक व्यापक आक्रमण है, जिसका उद्देश्य है भारत को चीन के प्रतिस्पर्धी के रूप में आगे आने न देना ! चीन इस विषय में प्रचुर गति से काम कर रहा है; इसलिए अब भारत को भी ‘कॉग्निटिव युद्ध’ के क्षेत्र में शोध कार्य कर स्वयं की लडने की क्षमता बढानी चाहिए। इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों, निजी सार्वजनिक क्षेत्र तथा इन सभी के ज्ञान का उपयोग कर इस क्षेत्र में प्रगति करनी होगी ।

५. ‘कॉग्निटिव युद्ध’ का सामना कैसे करना चाहिए ?

५ अ. सूचना का चिकित्सकीय पद्धति से विचार करें : किसी भी सूचना का स्वीकार करने से पूर्व उसकी सच्चाई की पडताल करें ।

५ आ. विभिन्न स्रोतों से जानकारी लें : एक ही स्रोत पर निर्भर न रहें ।

५ इ. सोशल मीडिया का सावधानी से उपयोग करें :

५ इ १. झूठे समाचार फैलानेवाले खातों तथा समूहों को ‘फॉलो’ न करें ।

५ इ २. स्वयं के संगणक तथा चलित भ्रमणभाष की सुरक्षा करें ।

५ इ ३. लोगों में सूचना का चिकित्सकीय पद्धति से विचार करने की क्षमता विकसित करें ।

६. ‘कॉग्निटिव युद्ध’ का सामना करने हेतु भारत के लिए आवश्यक उपाय तथा कार्यवाही

६ अ. भारत सत्य सूचना के प्रसार पर बल दे ।

६ आ. सोशल मीडिया पर झूठे समाचार रोकने के लिए कठोर नियम हों ।

६ इ. भारत स्वयं के सुरक्षातंत्रों को ‘कॉग्निटिव युद्ध’ का सामना करने के लिए प्रशिक्षित करे ।

६ ई. भारत अन्य देशों के साथ मिलकर ‘कॉग्निटिव युद्ध’ का सामना करने के लिए एक साथ मिलकर काम करे ।

७. ‘कॉग्निटिव युद्ध’ से बचने हेतु भारत को क्या करना चाहिए ?

भारत के शत्रु ‘कॉग्निटिव युद्ध’ नीति का उपयोग कर रहे हैं । ‘कॉग्निटिव युद्ध’ के विभिन्न अंगों का उपयोग कर भारत की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक एकता तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतिमा को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है ।

इसके संदर्भ में भारत को निश्चित रूप से क्या करना चाहिए ?, इसे यहां दे रहे हैं ।

७ अ. झूठी जानकारी तथा अफवाएं फैलाना (Disinformation, Fake News) :

१. माध्यमों पर तथा सोशल मीडिया पर प्रभावी प्रचार अभियान चलाकर जनमत तथा विचारों पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया जाता है ।

२. भारत के शत्रु देशों द्वारा सोशल मीडिया पर तथा ‘डिजिटल प्लैटफॉर्म्स’ पर झूठी जानकारी तथा अफवाएं फैलाई जाती हैं । इसमें धार्मिक, वांशिक तथा प्रादेशिक संघर्ष भडकाकर, सामाजिक अस्थिरता उत्पन्न करने का प्रयास किया जाता है । भारत की हिंसा की घटनाओं को विकृत स्वरूप में प्रस्तुत कर वातावरण भडकाया जाता है ।

७ अ १. बचाव : उक्त अनुचित बातों से कैसे बचना चाहिए, यह यहां दे रहा हूं ।

अ. तथ्य के पडताल का तंत्र सशक्त होना चाहिए   : सरकार तथा निजी संस्थाओं को एकत्र होकर तथ्य के पडताल के तंत्र को सशक्त बनाना चाहिए । सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर प्रसारित झूठी जानकारी की पहचान कर उसे तुरंत दूर करने के लिए उपाय करने चाहिए ।

आ. हमारे महत्त्वपूर्ण सामरिक एवं युद्ध से संबंधित जानकारी के संरक्षण के लिए अत्यंत सतर्क रहें । शत्रु के आक्रमणों से सूचना को सुरक्षित रखने हेतु उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करें ।

इ. झूठी जानकारी की पहचान करने के प्रति तथा उससे सतर्क रहने के विषय में जनता को जागरूक करना आवश्यक है । विद्यालयीन-महाविद्यालयीन शिक्षा में इसे अंतर्भूत किया जाना चाहिए ।

७ आ. समाज को विभाजित करना (Social Division and Polarization) : भारत के शत्रु देशों ने धार्मिक एवं प्रादेशिक अस्मिता का उपयोग कर देश के समाज को विभाजित करने का प्रयास किया है । विशेषरूप से धार्मिक तनाव तथा सांप्रदायिक संघर्ष बढाने हेतु झूठे समाचार फैलाए जाते हैं ।

७ आ १. बचाव

अ. सामाजिक एकता को सशक्त बनाना : सरकार तथा स्थानीय नेतृत्व को एकत्र होकर समाज के सभी घटकों में एकता बढाने हेतु कार्य करना चाहिए । विविधता में एकता भारत का मुख्य आधार है तथा उसे संकट में डालनेवाले घटकों को निष्प्रभावी बनाने हेतु सभी स्तरों पर प्रयास किए जाने चाहिए ।

आ. सभी धर्माें एवं समुदायों के साथ समानतापूर्ण व्यवहार करनेवाली नीतियां बनाना, जिससे शत्रु को भारतीय समाज को विभाजित करने का अवसर न मिले ।

७ इ. भारत की वैश्विक प्रतिमा को क्षति पहुंचाना (Harming India’s International Image) : शत्रु देश भारत की वैश्विक प्रतिमा को क्षति पहुंचाने हेतु झूठी जानकारी फैलाते हैं । भारत में मानवाधिकारों के विषय में झूठी कहानियां तथा घटकों की निर्मिति कर विश्व स्तर पर भारत को बदनाम करने का प्रयास किया जाता है ।

७ इ १. बचाव

अ. सक्रिय सार्वजनिक नीतियां : भारत को अपनी वैश्विक प्रतिमा को बनाए रखने के लिए विश्व मंच पर अपना पक्ष स्पष्टता से रखना चाहिए । बाहर के देशों में भारतीय दूतावासों को अधिक सक्रिय बनाना चाहिए, जिससे झूठे समाचार फैलानेवालों को तुरंत उत्तर दिया जा सके ।

आ. वैश्विक मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर अपनी उपस्थिति बढाना : भारत को स्वयं के दृष्टिकोण तथा नीतियां स्पष्ट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय माध्यमों में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए ।

७ ई. साइबर एवं प्रौद्योगिकी पर आक्रमण (Cyber Attacks and Technology Manipulation)  : शत्रु राष्ट्र भारत के सूचना प्रौद्योगिकी की मूलभूत सुविधाओं पर आक्रमण कर महत्त्वपूर्ण जानकारी चुराने का तथा उसका उपयोग कर भारत को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं ।

७ ई १. बचाव

अ. साइबर सुरक्षा को सशक्त बनाना : भारत अपने साइबर संरचना की सुरक्षा बढाए । साइबर आक्रमणों को रोकने हेतु अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करे तथा साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का एक प्रभावशाली दल तैयार करे ।

आ. निरंतर प्रशिक्षण देना तथा कर्मचारियों को अद्यत (अपडेटेड) रखना : सरकारी एवं निजी क्षेत्र के सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित कर्मचारियों को निरंतर प्रशिक्षण देकर उन्हें नए सिरे से होनेवाले संभावित आक्रमणों एवं नीतियों के विषय में अद्यत रखना आवश्यक है ।

इ. साइबर आक्रमणों के द्वारा शत्रु के सूचना प्रौद्योगिकी के मूलभूत सुविधाओं पर आघात करें, जिससे उनकी संगणकीय प्रणाली प्रभावित होकर उससे शत्रु की निर्णयक्षमता प्रभावित हो । इसका उद्देश्य यह है कि शत्रु को सूचना से संबंधित विषयों में भ्रमित करना ।

७ उ. मनोवैज्ञानिक अभियान (ऑपरेशंस) : शत्रु सामान्य नागरिकों पर मानसिक दबाव बनाने के लिए मनोवैज्ञानिक अभियान चलाता है । इसके द्वारा वह जनता में भय फैलाने हेतु तथा उनका मनोबल गिराने के प्रयास में होता है । प्रचार सामग्री, वीडियो तथा संदेशों का उपयोग कर समाज की मन की स्थिति पर आक्रमण किया जाता
है । शत्रु देश मनोवैज्ञानिक आक्रमणों का उपयोग कर भारतीय सैनिकों तथा जनता का मनोबल गिराने के लिए समाज के लोगों में असंतोष फैलाने का प्रयास करते हैं ।

७ उ १. बचाव

अ. सरकार सैनिकों तथा जनता का मनोबल बनाए रखने के लिए तनाव व्यवस्थापन से संबंधित तथा प्रेरक कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करे ।

आ. जिन माध्यमों के द्वारा मनोवैज्ञानिक आक्रमण होते हैं, उनपर नियंत्रण रखकर उन्हें समय रहते ही उत्तर देना महत्त्वपूर्ण है ।

८. निष्कर्ष

भारत के शत्रु देशों ने ‘कॉग्निटिव युद्ध’ नीति का उपयोग कर देश की आंतरिक सुरक्षा को तथा एकता को चुनौती दी है । इसका उत्तर देने के लिए भारत को एक व्यापक नीति बनाना आवश्यक है, जिसमें साइबर सुरक्षा, सूचना व्यवस्थापन, जागरूकता तथा सामाजिक एकता पर बल दिया जाएगा । इसमें नीतियों का क्रियान्वयन अधिक महत्त्वपूर्ण है । ‘कॉग्निटिव युद्ध’ एक गंभीर संकट है । हमें इस युद्ध का सामना करने हेतु सतर्क एवं सुसज्जित रहना आवश्यक है ।

– ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त), पुणे. (१४.१.२०२५)