UP WAQF Land Under State Government : उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा दावा कर रहे संपत्ति में से ७८ प्रतिशत संपत्ति सरकारी !

उत्तर प्रदेश सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति को दी जानकारी !

नई देहली – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति से कहा ‘वक्फ बोर्ड राज्य की जिन संपत्ति पर दावा कर रहा है, उनमें से ७८ प्रतिशत संपत्ति सरकार की है । वक्फ बोर्ड का इनपर कोई कानूनी स्वामित्व का अधिकार नहीं है ।’

१. उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण आयोग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोनिका गर्ग ने संयुक्त संसदीय समिति से कहा ‘वक्फ बोर्ड के पास राज्य में १४ सहस्र हेक्टर भूमि होने का दावा है । अधिकृत पंजीकरण के अनुसार इनमें से ११ सहस्र ७०० हेक्टर भूमि सरकारी है । सच्चर समिति के विवरण (रिपोर्ट) में कहा है कि वक्फ बोर्ड जिन ६० संपत्ति पर दावा कर रहा है, वे सरकारी संपत्ति हैं ।’

३. उत्तर प्रदेश सरकार ने समिति से कहा ‘राज्य की वक्फ संपत्ति चिन्हांकित करने हेतु मार्गदर्शक तत्त्व एवं नियम हैं । जब वक्फ बोर्ड किसी भी भूमि पर दावा करता है, तब उस भूमि का वर्ष १९५२ के पंजीकरण से मिलान किया जाता है । यदि मिलान में भूमि वक्फ बोर्ड के मालिक की पाई गई, तो वह सरकार को उस भूमि पर रहा अतिक्रमण हटाने की विनती कर सकता है ।

४. सरकार ने ऐसा भी कहा है ‘लक्ष्मणपुरी में स्थित बडा इमामबाडा, छोटा इमामबाडा एवं अयोध्या में स्थित ‘बेगम का मकबरा’ ये प्रसिद्ध स्मारक सरकारी संपत्ति हैं; परंतु वक्फ बोर्ड इन संरक्षित स्मारकों पर स्वामित्व का अधिकार कह रहा है ।

५. उत्तर प्रदेश सरकार के महसूल विभाग ने संयुक्त संसदीय समिति से कहा ‘वक्फ बोर्ड जिस भूमि पर दावा कर रहा है, उसका बडा भाग महसूल पंजीकरण में वर्ग ५ एवं वर्ग ६ के अंतर्गत पंजीकृत किया गया है । वर्ग ५ एवं ६ में सरकारी संपत्ति एवं ग्रामसभा की संपत्ति समाहित हैं ।’

६. उत्तर प्रदेश के वक्फ बोर्ड १ लाख ३० सहस्र से अधिक संपत्ति पर दावा कर रहा है । इन संपत्ति में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आनेवाले स्मारक, बलरामपुर सरकारी चिकित्सालय, लखनऊ विकास प्राधिकरण की भूमि एवं अन्य अनेक सरकारी संपत्ति समाहित हैं । वक्फ बोर्ड सरकार की जिन संपत्ति पर दावा कर रहा है, उन संबंधित नगरनिगमों को संबंधित विभागों को अधिकृत पद्धति से बांटी गई थी ।

संपादकीय भूमिका 

वक्फ बोर्ड समाप्त करने का कोई विकल्प नहीं; यही इन आंकडों से स्पष्ट होता है ! यदि ऐसा नहीं करते, तो आगामी पीढी क्षमा नहीं करेगी !