सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी‘कर्नाटक के साधकों का यह सौभाग्य है कि ईश्वर ने एक ही दिन तीन संतरत्नों के रूप में साधकों को अमूल्य उपहार दिया है । ‘दक्षिण कन्नड’ जिले के ३ साधकों का एक ही दिन संतपद प्राप्त करना’, सनातन के इतिहास की एक अपूर्व घटना है । कर्नाटक राज्य के साधकों में विद्यमान ‘प्रेमभाव एवं सेवावृत्ति’ देखकर ईश्वर ने उनपर यह कृपा की है । साधको, संतों के सत्संगों का लाभ उठाकर स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति कर लो !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले (१८.११.२०२४)
मंगळूरु – सनातन के धर्मप्रचारक पू. रमानंद गौडाजी (सनातन के ७५ वें संत, आयु ४८ वर्ष) ने कर्नाटक के दक्षिण कन्नड जिले के सनातन के साधक श्री. सांतप्पा गौडा (आयु ८१ वर्ष) ने १२९ वें (समष्टि संत), श्रीमती कमलम्मा (आयु ८१ वर्ष) ने १३० वें (व्यष्टि संत) तथा श्रीमती शशिकला किणी (आयु ७८ वर्ष) ने १३१ वें (व्यष्टि संत) ने संतपद प्राप्त किए जाने की घोषणा की ।
१८ नवंबर २०२४ को मंगळूरु के कुळायित में स्थित श्री विष्णुमूर्ति मंदिर के सभागार में आयोजित एक समारोह में यह घोषणा की गई ।
इस अवसर पर पू. रमानंद गौडा ने मार्गदर्शन करते हुए कहा, ‘‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने कर्नाटक के सभी साधकों को केवल आनंद ही नहीं, अपितु चैतन्य प्रदान करनेवाला शुभ समाचार दिया है । इसके लिए हम सभी साधक गुरुदेवजी के पावन चरणों में तथा इन तीनों संतों के चरणों में अनंत कोटि कृतज्ञता व्यक्त करेंगे ।’’
इस अवसर पर पुष्पमाला पहनाकर तथा भेंटवस्तुएं प्रदान कर इन तीनों संतों को सम्मानित किया गया । पू. सांतप्पा गौडाजी को पू. रमानंद गौडाजी ने सम्मानित किया, तथा पू. रमानंद गौडाजी एवं श्रीमती मंजुळा गौडा (आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत, आयु ४३ वर्ष) ने पू. (श्रीमती) शशिकला किणीजी को सम्मानित किया ।
इस अवसर पर सनातन के संत पू. विनायक कर्वेजी (आयु ८२ वर्ष), पू. (श्रीमती) राधा प्रभुजी (आयु ८७ वर्ष) तथा सनातन के पहले बालसंत पू. भार्गवराम प्रभुजी (आयु ७ वर्ष) सहित संतपद पर विराजमान संतों के परिजन, साथ ही दक्षिण कन्नड एवं उडुपी जिले के साधक उपस्थित थे ।