जमियत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी का बयान
(मौलाना अर्थात इस्लामी स्कालर)
किशनगंज (बिहार) – बांग्लादेश में जिन मुसलमानों ने गैर मुस्लिमों पर अन्याय किया है, वे इस्लाम विरोधी हैं । केवल बांग्लादेश से नहीं, प्रत्येक देश से अपील करता हूं कि वे अपने यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा करें । उनका आदर करें, उनका सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार मत छीनिए । अल्पसंख्यकों पर आक्रमण करना इस्लाम में मान्य नहीं है, ऐसा बयान ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिया ।
मौलाना मदनी ने कहा,
१. किसी भी सभ्य समाज के लिए न्याय सबसे महत्त्व का होता है । सड़कें और विकास भी महत्त्व का है । परंतु, जात और धर्म के आधार पर मानव-मानव में भेद किया जाता रहा, तो यह देश के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा । (मुसलमानों में अनेक जातियां और संप्रदाय हैं । शिया-सुन्नी का विवाद तो इस्लाम के आरंभ से ही है । इस विवाद में करोड़ों लोगों के प्राण गए हैं । इस्लाम में जातियों के कारण उनकी मस्जिदें भी अलग-अलग हैं । इस विषय पर मदनी क्यों नहीं मुंह खोलते ? – संपादक)
२. आज सड़क पर चलते समय मुसलमानों को कष्ट होता है । उन्हें कदम-कदम पर नफरत का सामना करना पड़ रहा है । (इसे कहते हैं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ! देश के मुसलमान बहुल मोहल्लों में मुसलमान आरोपी को पकडने के लिए जाते समय पुलिस भी डरती है । वहां पुलिसकर्मियों पर आक्रमण किए जाते हैं । मदरसों में आतंकवादी छिपाए जाते हैं । इस विषय में मदनी क्यों नहीं बोलते ? – संपादक)
३. राजनीतिक लाभ के लिए देश का भाईचारा बिगाड़ने का जी तोड प्रयास किया जा रहा है । यह नहीं होना चाहिए । (देश में भाईचारा बनाए रखने के लिए कश्मीर के मुसलमानों ने क्या किया, यह मदनी बताएं ! वहां की मस्जिदों के भोंपुओं से धमकी देकर हिन्दुओं को अपनी पत्नियां और संपत्तियां छोड़कर जाने के लिए कहा गया था । वह क्या था ? वह भाईचारा था क्या ? आज भी हिन्दू वहां रहने के लिए नहीं जा सकते । हिन्दू वहां रहने लगें इसके लिए मदनी और उनका संगठन क्या करनेवाला है ? – संपादक)
संपादकीय भूमिका
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