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मुंबई – राज्य सहित देशभर में हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों पर कई तरह से वक्फ बोर्ड का अधिकार होने का दावा किया जा रहा है। इसी तरह, अल्पसंख्यक विभाग ने महाराष्ट्र में वक्फ बोर्ड को शक्तिशाली करने के लिए १० करोड़ रुपये के प्रावधान की घोषणा की थी । राज्य में नई सरकार के गठन से पहले कार्यवाहक सरकार के समय हिन्दू विरोधी वक्फ बोर्ड को फंड देने के सरकार के निर्णय का सोशल मीडिया पर हिन्दुओं ने कड़ा विरोध किया । इसके बाद राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने बताया कि यह सरकारी आदेश वापस ले लिया गया है ।
वर्ष २०२४ – २५ के लिए महाराष्ट्र सरकार की अनुपूरक बजट मांग में वक्फ बोर्ड को शक्तिशाली करने के लिए विभिन्न आधारभूत सुविधाओं के लिए २० करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें से १० करोड रुपये दिये जा चुके हैं । २० करोड रुपये में से शेष धनराशि का शासनादेश २८ नवंबर को जारी हुआ । जब इस निर्णय का समाचार सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ तो हिन्दुओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और निर्णय को लेकर अपना क्रोध व्यक्त किया ।
विधानसभा चुनाव में महायुति को मिले बहुमत का हवाला देते हुए कई हिन्दुओं ने सोशल मीडिया पर यह तरीका अपनाया कि ‘यदि ऐसा निर्णय लिया गया तो वे भविष्य में महायुति को वोट नहीं देंगे । ‘
नहीं तो आने वाले चुनाव में हिन्दुओं के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा ! – मोहन सालेकर, सचिव, कोंकण प्रभाग, विश्व हिंदू परिषद
जो कांग्रेस सरकार ने नहीं किया, वह महायुती की सरकार कर रही है । यदि इस निर्णय को वापस नहीं लिया गया तो स्थानीय स्वराज्य संस्था और आनेवाले चुनाव में सम्मिलित महायुती की पार्टियों को हिन्दुओं के क्रोध का सामना करना पड़ेगा ।
संबंधित अधिकारियों पर होगी कार्यवाही ! – सुजाता सौनिक , मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र में कार्यवाहक सरकार होने पर कोई भी नीतिगत निर्णय कानूनी रूप से नहीं लिया जा सकता । मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने आपसी सहमति से वक्फ बोर्ड को १० करोड़ रुपये का फंड देने का आदेश पारित कर दिया । इसलिए इस सरकारी आदेश को वापस लेने और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने का आदेश दिया गया है । (सौनिक; संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही की भी जानकारी दें । – संपादक)