पूर्व भाजपा नगरसेवक भालचन्द्र शिरसाट का नगर निगम से उर्दू भवन का प्रस्ताव वापस लेने का अनुरोध
(उर्दू भवन यानी उर्दू भाषा तथा साहित्य को बढावा देने के लिए बनाई गई संरचनाएं)
मुंबई – मुंबई नगर निगम के बायकुला निर्वाचन क्षेत्र के अग्रीपाडा डिवीजन में एक उर्दू भाषा अध्ययन केन्द्र (उर्दू भवन) स्थापित किया जा रहा है । बेघरों के लिए आरक्षित भूखन्ड पर आरक्षण बदलकर उर्दू भवन का निर्माण चल रहा है । भाजपा के पूर्व नगरसेवक भालचन्द्र शिरसाट ने नगर निगम से उर्दू भवन के प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग की है । उन्होंने इस संबंध में २८ नवम्बर को मुंबई नगर निगम को पत्र भेजा है ।
🛑Construction of Urdu Bhavan begins in Byculla
🚩Former BJP corporator Bhalchandra Shirsat demands cancellation of the Urdu Bhavan project from the Municipal Corporation
👉Why construct #Urdu Bhavan when #Marathi has just been granted ‘Classical’ status, yet no efforts are… pic.twitter.com/tbrmXo1LMc
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) November 29, 2024
१. इस भूखन्ड का स्वामित्व एक पट्टा समझौते के तहत ३० वर्षों के लिए ‘औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान’ (आईटीआई) को दिया गया था; हालांकि, ‘मुंबई विकास नियन्त्रण’ नियम १९९१ की योजना में ‘बेघरों के लिए आश्रय’ के आरक्षण के कारण महाराष्ट्र सरकार द्वारा आईटीआई के निर्माण की अनुमति नहीं दी गई थी । कोरोना महामारी के दौर में वर्ष २०२० से २०२२ तक सभी प्रशासनिक कार्य बंद रहे ।
२. इसके पश्चात, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के, बिना कोई नोटिस दिए एवं नगर आयुक्त तथा प्रशासन की बात को ध्यान में रखे बिना ‘आईटीआई’ को दिया गया एकाधिकार रहित कर दिया गया । सहायक आयुक्त ‘ई’ डिवीजन की मंजूरी से इस भूखन्ड पर उर्दू भवन का निर्माण प्रस्तावित किया गया । इस प्रस्ताव पर नगर निगम की कोई भी सहमति नहीं है ।
३. भायखला में १२ नगरपालिका उर्दू विद्यालय हैं। अन्यत्र भी विभिन्न नगर निगम विद्यालयों में उर्दू विभाग हैं । चूंकि वहां उर्दू छात्रों की संख्या कम हो रही है, नगर निगम के लिए विद्यालय में खाली उपलब्ध कक्षाओं को उर्दू भाषा अध्ययन केन्द्रों के लिए उपलब्ध कराना आसानी से संभव है; लेकिन ऐसा नहीं हुआ है ।
४. ये सब देखते हुए इस भूखन्ड पर बनने वाले उर्दू भवन के प्रस्ताव को खारिज किया जाना चाहिए । साथ ही मांग की जा रही है कि नियमों को पूरा करते हुए वहां एक संपूर्ण ‘आईटीआई’ स्थापित करने की अनुमति दी जाए ।
संपादकीय भूमिकाहालांकि हाल ही में मराठी को ‘अभिजात’ (समृद्ध) भाषा का दर्जा मिला है, तो बिना किसी प्रयास के तथा उर्दू छात्रों की संख्या कम होते हुए भी उर्दू भवन का निर्माण क्यों ? |